Rajasthan news: देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा सरकारें विकास के बड़े बड़े दावे कर रही है. लेकिन आज भी कई गांव ऐसे है जो आज भी अपनी मूलभूत सुविधा के लिए इंतजार कर रहे है. इसको लेकर अब ग्रामीण 75 साल के लंबे इंतजार के बाद सड़को पर उतरने को मजबूर को गए. आजादी के बाद अब तक भी मूलभूत सुविधाओं में महरूम है ये गांव. वर्तमान समय में आप से कोई कहे की उनके गांव को दूसरे गांव में जोड़ने की सड़क नहीं है तो आपको विश्वास नहीं होगा. लेकिन आज हम आपको ऐसे गांव से रूबरू करवाते है जो आजादी के 75 वर्ष बाद भी सड़क बनने की राह जो रहा.
9 किलोमीटर का रास्ता 7 दशकों से पड़ा कच्चा
बीकानेर जिले के श्री डूंगरगढ़ विधानसभा के गांव लाधड़िया जहां के ग्रामीण आज भी अपने पंचायत मुख्याल के गांव डेलवा तक जाने के लिए नौ किलोमीटर के कच्चे रास्ते से गुजरते है. सन 1545 में करीब 360 गांवों का मुखिया कहलाने वाला लाधड़िया आज विकास के सबसे अंतिम पायदान पर आ गया. वर्तमान के आज ये गांव अपने पंचायत मुख्यालय से जुड़ने के लिए संघर्ष कर रहा है. जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के कारण ग्रामीण सड़को पर उतर प्रदर्शन करने को मजबूर हो गए. ग्रामीणों ने श्री डूंगरगढ़ पर महापड़ाव का एलान कर दिया. इसके लिए ग्रामीण आस पास के गांवों में जनसंपर्क कर रहे है.
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9 km की दूरी पड़ी 60 km की
डेलवां से लाधड़िया 9 किलोमीटर सड़क निर्माण होने से गांव डेलवां, लाधड़िया, गुसाईंसर बड़ा, बींझासर, जालबसर, आड़सर, सुरजनसर, उदरासर, लोढेरा, मणकरासर, बीरमसर, लाखनसर तक के हजारों ग्रामीणों को राहत मिल सकेगी. इन गांवो में आपसी सामाजिक व सांस्कृतिक गहरा जुड़ाव है तथा अनेक प्रकार के आर्थिक हित भी जुड़े है. डेलवां नई ग्राम पंचायत बना तो लाधड़िया को इसमें शामिल किया गया जिससे ग्रामीणों की समस्याएं बढ़ गई है. ग्रामीणों का आरोप है कि लाधड़िया के ग्रामीणों को अपने हर एक राजकीय कार्य के लिए ग्राम पंचायत मुख्यालय डेलवां तक जाने के लिए 9 किलोमीटर के स्थान पर 60 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है. वे कालू या श्रीडूंगरगढ़ होकर जाते है, जिससे वे धन व समय की बर्बादी से परेशान हो रहे है.
अब ग्रामीणों ने उठाया ये कदम
ग्रामीणों की ओर से लगातार हो रही मांग पर सरकार द्वारा कोई कार्यवाई नहीं होने के विरोध में ग्यारह गांव के ग्रामीणों ने सड़क संघर्ष समिति के बैनर तले उपखंड मुख्यालय पर एक दिवसीय सांकेतिक धरना लगा प्रदर्शन कर सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम देते हुए मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी. प्रदर्शन में सैकड़ों महिलाएं भी शामिल हुई. जनप्रतिनिधि किशन गोदारा ने कहा की हम सभी पंचायत मुख्यालय से जुड़ने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे है. आजादी के 70 साल बाद भी ये सुविधा नहीं मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है. इसके लिए हमने अपने सांसद, विधायक व अधिकारियों को कई बार लिखित व मौखिक रूप से कई बार अवगत करवाया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही. वहीं सरकार ने सभी गांवों को पंचायत मुख्याल जोड़ने की योजना बना रखी है.
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15 दिन का दिया अल्टीमेटम
सड़क संघर्ष समिति के दिनेश डेलू बताते है की सड़क की मांग को लेकर आज उपखंड कार्यालय पर महापड़ाव किया गया है हमने सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है इसके लिए अलग से वित्तीय स्वीकृति जारी की जाए अन्यथा ग्रामीणों द्वारा आंदोलन को उग्र किया जाएगा और उसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार व प्रशासन की होगी. एक सड़क बनने से दर्जनों गांव के ग्रामीणों को सुविधा होगी. देश डिजिटल इंडिया के साथ आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. लेकिन गांवों में बसने वाली देश की आत्मा आज भी मूलभूत सुविधाओं से महरूम है. ग्रामीणों को सबसे बड़ी सुविधा के लिए सड़को पर उतरना पड़ रहा है. जरूरत है प्रदेश की सरकार इन ग्यारह गांवों के ग्रामीणों की मांग पर तत्काल संज्ञान लेकर इनको राहत प्रदान करे.