Bikaner News: गुजरने की मन में सोच लेता है तो कुछ भी काम नामुमकिन नहीं है. खेतों में लगातार छिड़काव होने वाले जहर से जहरीली फसलों से जहां स्वास्थ्य खराब हो रहा है. इसके विपरीत एक किसान ने अपने खेत में बिना किसी खाद व कीटनाशक के खेत में अनेकों फसलें उगाकर यह साबित कर दिया कि पूर्ण रूप से स्वस्थ रहना है तो इस जैविक खेती को प्रत्येक किसान को अपनाना ही होगा.
शिवप्रकाश भादू जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है. जैविक खेती के नाम से अपनी पहचान बना चुके भादू पिछले 8 वर्षों से 40 बीघा भूमि पर बिना किसी जहर खाद के जैविक खेती कर रहे हैं. इनके खेत में खड़ी गेहूं चने की फसल बाजार के मूल्य भाव से घर से ही अधिकतम दाम पर बिकती है.
कीटनाशक और खाद के नाम पर सालाना लाखों रुपए की बचत के साथ-साथ उच्चतम मूल्य पर अपनी फसलें बाजार में बेचकर, यह साबित कर दिया कि किसान को समय के साथ-साथ नई तकनीकी से खेती करना ही होगा. गेहूं की मेड़ तरीके से की गई. बिजाई में मात्र 8 किलो प्रति बीघा के हिसाब से बीज बोया गया है.
जबकि अन्य किसान 40 किलो प्रति बीघा तक गेहूं का बीज बोते हैं. किसान भादु ने जानकारी देते हुए बताया कि सरसों की उच्च क्वालिटी और तेल की मात्रा अधिकतम होने के चलते बाजार मूल्य से 1500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से ज्यादा भाव मिलते हैं. साथ ही गेहूं चने की डिमांड भी लगातार बढ़ती जा रही है. यह घर पर देसी नस्ल की गाय रखते हैं और उनके गोबर से फसलों का उत्पादन बढ़ाते हैं. धीरे-धीरे इनके पास दूर-दराज के किसान भी पहुंचते हैं और जानकारी सांझा करते हैं. कई बार राजस्थान सरकार द्वारा इनका सम्मान किया जा चुका है.
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