Bundi News: टाइगर रिजर्व में बाघों के प्रे-बेस के लिए विख्यात केवलादेव घना पक्षी विहार अहम भूमिका निभाता आया है. अब तक घना से ही मुकंदरा व रामगढ़ टाइगर रिजर्व में चीतल शिफ्ट किए जाते रहे हैं. अब प्रदेश की चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन शिखा मेहरा ने एक्सटेंशन कर दिया है.
इसमें मुकंदरा को 100 चीतलों को शिफ्ट करने की अनुमति मिल चुकी है. जिसका 500 चीतलों का कोटा पूरा हो जाएगा. घना में बारिश व छिछली झीलों में पानी भरे रहने से कई माह से हिरण पानी भरे रहने से बोमा तकनीक से पकड़ में नहीं आ रहे थे. इसमें बाड़ाबंदी के लिए पानी का भराव समस्या बन रहा था. मार्च में गर्मी पड़ते ही झील में पानी कम होने से रेस्क्यू का काम आसान हो जाएगा. फिर रामगढ़ व मुकंदरा रिजर्व के लिए प्रे-बेस में 50 व 100 चित्तीदार हिरणों की खेप भेज दी जाएगी.
इसके लिए केवलादेव घना उपक्न संरक्षक की ओर से होली के आसपास तीन रिजर्व में 300 हिरणों को भेजा जाना प्रस्तावित है. निदेशक मानस ने बताया कि रामगढ़ में चीतलों के शेष एक्सटेंशन को संख्या में बढ़ाकर अब 50 चीतलों की डिमांड चीफ वार्डन वाइल्ड लाइफ ने हाल ही में की है. जो जरूरत में भविष्य में बढ़ भी सकती है. इधर, घना डीएफओ ने तैयारी की शुरू, कई माह से बोमा पद्धति से हिरणों का रेस्क्यू के बंद काम में मार्च से तेजी लाई जाएगी.
हाल ही में दिल्ली के हौज खास से 28 हिरणों की शिफ्टिंग रामगढ़ रिजर्व में हो चुकी है. अब मार्च में 50 से अधिक चीतलों के आने पर मुहर लग चुकी है. ऐसे में अब मध्यप्रदेश से बाधिनों के जल्द आने की शुभ घड़ी नजदीक होने की उम्मीद हुई है. मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक बाघों को लाने से पहले दोनों रिजर्व में भरपूर प्रे-बेस की पूर्ति करने को प्राथमिकता दे रही हैं.
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