Bundi News: रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में बाघिन आरवीटी-3 का रेडियो कॉलर पिछले एक माह से खराब है. वह खराब रेडियो कॉलर के साथ ही शावक के साथ विचरण कर रही है. रेडियो कॉलर के सिग्नल बंद होने से बाधिन ट्रेस नहीं हो रही है. इससे चिंता बढ़ गई है। बता दें कि मध्यप्रदेश से रामगढ़ में बाघिनों के आने का इंतजार है. इसके बाद भी टाइगर रिजर्व प्रबंधन अलर्ट नहीं दिख रहा है.
बिना रेडियो कालर के शावक के साथ बाघिन की निगरानी पर खतरा पैदा हो गया है. 4 लेकिन अभी तक रामगढ़ रिजर्व प्रबंधन की ओर से रेडियो कॉलर के बदलने की दिशा में कोई प्रयास नहीं करने से सुरक्षा पर सवाल खड़ा होता है. हाल ही में बाघ आरवीटी-4 की आरवीटी-1 के साथ वर्चस्व की लड़ाई में आरवीटी-4 की जान गई, जिस जगह फाइट हुई.
वह जगह जमीन से 400 फीट की ऊंचाई पर पहाड़ी पर थी. फाइट के दौरान बाघ का रेडियो कॉलर सही रहा तो फाइटिंग में मारे गए बाघ की डेड बॉडी रेडियो कालर के सिग्नल से ही मिल पाई. वरना काफी दिन बाद बॉडी मिलती.
रेडियो कॉलर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है. इसमें एक छोटा ट्रांसमीटर होता है. ये ट्रांसमीटर रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए सिग्नल भेजता है. ये सिग्नल दूसरे डिवाइस तक पहुंचते हैं, जहां इसे रिसीव किया जा सकता है. रेडियो कॉलर के अंदर मौजूद बैटरी ट्रांसमीटर को चलाती है. रेडियो कॉलर आमतौर पर नायलॉन या चमड़े से बनाया जाता है.
इससे टाइगर की गर्दन को नुकसान नहीं पहुंचता है. इसमें लगा ट्रांसमीटर एक खास रेडियो फ्रीक्वेंसी पर सिग्नल ट्रांसमिट करता है, जिससे कई किमी दूर से टाइगर ट्रेस किया जा सकता है. बाघिन को रेडियो कॉलर दो साल पहले लगाया गया था. इसलिए बैटरी एक्सपायर होने से काम करना बंद कर दिया है. इससे रेडियो कॉलर से एक महीने से ज्यादा समय से सिग्नल मिलना बंद हो गया है. हालांकि, जिस इलाके में बाधिन आरवीटी-3 शाक्क के साथ विचरण कर रही है, वहां ट्रैप कैमरे और बढ़ाने की वन विभाग के अधिकारी जानकारी दे रहे हैं.