trendingNow/india/rajasthan/rajasthan12668712
Home >>Churu

Churu News: भजनलाल सरकार की मस्ती की पाठशाला हुई वायरल, इस स्कूल के आगे प्राइवेट विद्यालयों की फीकी हैं रंगत

Churu News: भजनलाल सरकार सरकारी विद्यालयों को लेकर काफी चिंतित नजर आ रही है. भजनलाल सरकार सरकारी विद्यालयों को सुचारू रूप देने के लिए पिछले दिनों कई कमेटी अभी गठित की है. इस बीच आज हम एक ऐसे विद्यालय से मिलने जा रहे हैं, जो भजनलाल सरकार के समय मैं किसी प्राइवेट स्कूल से काम नहीं है.

Advertisement
Churu News: भजनलाल सरकार की मस्ती की पाठशाला हुई वायरल, इस स्कूल के आगे प्राइवेट विद्यालयों की फीकी हैं रंगत
Zee Rajasthan Web Team|Updated: Mar 04, 2025, 01:15 PM IST
Share

Churu News: भजनलाल सरकार सरकारी विद्यालयों को लेकर काफी चिंतित नजर आ रही है. भजनलाल सरकार सरकारी विद्यालयों को सुचारू रूप देने के लिए पिछले दिनों कई कमेटी अभी गठित की है. इस बीच आज हम एक ऐसे विद्यालय से मिलने जा रहे हैं, जो भजनलाल सरकार के समय मैं किसी प्राइवेट स्कूल से काम नहीं है.

सरकारी विद्यालयों को लेकर आमतौर पर अभिभावकों के अच्छे अनुभव नहीं रहते हैं. अमूमन सरकारी विद्यालयों में सुविधाओं का अभाव रहता है, ऐसे में अभिभावक अपने नौनिहालों को सरकारी स्कूल में दाखिला दिलवाने से कतराते हैं. लेकिन सरदारशहर एक ऐसा सरकारी विद्यालय भी है, जो बड़ी से बड़े प्राइवेट स्कूलों को हर मामले पीछे छोड़ रहा है.

क्या आप मान सकते हैं? कि एक सरकारी विद्यालय के बच्चे आर्ट एंड क्राफ्ट के तहत हर दिन नई नई चीजें सीखते हैं, खुद कंप्यूटर चला रहे हैं, और खेल-खेल में पढ़ाई कर रहे हैं? सरदारशहर के मेहरासर चाचेरा गांव का राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बड़े से बड़े प्राइवेट विद्यालय को मात देता हुआ दिखाई देता है.  अनेकों खूबियों वाला यह विद्यालय पिछले 5 सालों से लगातार 5 स्टार रैंकिंग पा रहा हैं.

यहां बच्चे तनाव रहित हो कर पढ़ते हैं. इस लिए विद्यालय क्षेत्र में मस्ती की पाठशाला के नाम से भी जाना जाता है. 1950 में स्थापित होने वाला यह विद्यालय किसी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं, बल्कि कई मामलों में उनसे भी आगे है, यहां का माहौल देखकर आप यकीन नहीं कर पाएंगे कि यह कोई सरकारी स्कूल है. विद्यालय के प्रधानाचार्य अश्विनी कुमार पारीक और शिक्षकों की मेहनत ने इस स्कूल को नई पहचान दी हैं.

यह विद्यालय चूरू जिले के सरदारशहर के छोटे से गांव मेहरासर चाचेरा में स्थित है और मस्ती की पाठशाला के नाम से जाना जाता है. इस स्कूल की सबसे खास बात यह है कि विद्यालय में “खेल-खेल में पढ़ाई” की थीम पर पढ़ाया जाता हैं. यहां की दीवारों पर भी शानदार पेंटिंग की गई है, जो कि यहां पढ़नवाले छात्रों द्वारा की गई हैं. जिले का एकमात्र ऐसा सरकारी विद्यालय हैं जिसमें है कला कक्ष हैं, कलाकक्ष में बच्चे सीखते हैं आर्ट एंड क्राफ्ट ड्राइंग पेंटिंग और खिलौने बनाना.

बच्चों के स्वय अध्ययन के लिए आधुनिक वाचनालय बनाया गया हैं, जिसमें 1000 से ज्यादा हर प्रकार की किताबें मौजूद है. बच्चों को पढ़ने के लिए स्मार्ट बोर्ड है, पूरी तरीके से विद्यालय सीसीटीवी कैमरा की निगरानी में रहता है, विद्यालय की आकर्षक बिल्डिंग है साथ ही साथ बच्चों को बैठने की अच्छी व्यवस्थाएं हैं, इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में विद्यालय किसी भी प्राइवेट विद्यालय से आगे हैं.

विद्यालय में विज्ञान प्रयोगशाला बनी हुई है, जिसे छात्र विज्ञान के प्रयोग करते हैं और नए नए मॉडल बनाते हैं. साथ ही साथ विद्यालय में एक रत्न वाटिका भी बनाई हुई हैं, जिसमें 400 से ज्यादा पेड़ लगे हुए हैं. विद्यालय में आरो वॉटर बच्चों को पिलाया जाता हैं, अध्यापकों द्वारा विद्यालय में स्वच्छता पर विशेष जोर दिया जाता हैं. शिक्षा के अलावा छात्राओं को सामाजिक और संवेदनशील मुद्दों पर जागरूक किया जाता है, उन्हें समाज में बढ़ते अपराधों के बारे में जानकारी दी जाती है, जिसमें ''गुड टच'' और ''बैड टच'' जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं, स्कूल में छात्राओं के शारीरिक और मानसिक विकास को ध्यान में रखते हुए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन भी होता है.

विद्यालय के प्रधानाचार्य अश्विन पारीक ने बताया कि “2015 में जब मैंने यहां ज्वाइन किया, तब हालात अलग थे, जर्जर बिल्डिंग थी, ना ही कोई अच्छी व्यवस्थाएं थी, यहां तक कि पानी के नल भी टूटे हुए थे. लेकिन हमने ग्रामीणों को प्रेरित किया, ऐसे में गांव के भामाशाहों और विद्यालय शिक्षकों के सहयोग से 75 लाख की लागत से विद्यालय में अनेको काम हुए हैं.  इसलिए आज विद्यालय हर मामले में प्राइवेट विद्यालयों को पछाड़ रहा है.

विद्यालय में बच्चों का भी अच्छा जुड़ाव . हमारे विद्यालय के छात्रों का परिणाम बोर्ड परीक्षा में शत प्रतिशत रहता है. विद्यालय के छात्रों ने 96% से भी ज्यादा अंक बोर्ड परीक्षा में प्राप्त किए हैं. हमने खेल-खेल में पढ़ाई के कॉन्सेप्ट को अपनाया, जिससे बच्चों का मन पढ़ाई में लगा रहे. अब यहां बच्चे कंप्यूटर सीख रहे हैं और संस्कारों की शिक्षा भी ले रहे हैं.

यहां पेरेंट्स मीटिंग भी होती है. यह विद्यालय इस बात का उदाहरण है कि सरकारी स्कूल भी किसी से कम नहीं हो सकते. यदि शिक्षकों और प्रशासन की सही सोच हो, तो सरकारी स्कूलों में भी बेहतरीन शिक्षा दी जा सकती है. हमारी कोशिश रहती है कि बच्चों को यहां उच्च स्तरीय शिक्षा मिले, यहां बच्चे न सिर्फ पढ़ाई कर रहे हैं, बल्कि संस्कार भी सीख रहे हैं.

Read More
{}{}