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Gangaur Puja 2025: सरदारशहर में गणगौर पूजा की धूम, निभाई गई हल्दी की रस्म

Rajasthan News: राजस्थानी महिलाओं के लिए गणगौर पर्व का एक अलग ही महत्व है. होली पर्व के दूसरे दिन 14 मार्च से शुरू हुआ गणगौर पूजन 1 अप्रैल को गणगौर विसर्जन के साथ समाप्त हो जाएगा. 

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Zee Rajasthan Web Team|Updated: Mar 29, 2025, 02:17 PM IST
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Rajasthan News: राजस्थान में अनेकों त्योहार मनाए जाते हैं लेकिन महिलाओं के लिए गणगौर पर्व का एक अलग ही महत्व है. होली पर्व के दूसरे दिन 14 मार्च से शुरू हुआ गणगौर पूजन 1 अप्रैल को गणगौर विसर्जन के साथ समाप्त हो जाएगा लेकिन जैसे-जैसे 1 अप्रैल नजदीक आ रही है वैसे-वैसे शहर भर में गणगौर महोत्सव की धूम देखी जा रही है. 

आधुनिक युग के साथ-साथ गणगौर पूजन की परंपराओं में भी बदलाव देखने को मिला है, जिस तरह से शादी में सगाई, हल्दी, मेहंदी की रस्में निभाई जाती है उसी तरह अब गणगौर महोत्सव के दौरान भी इन रस्मों को निभाया जाने लगा है. 

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इसी कड़ी में शहर के वार्ड 16 में गणगौर पूजन करने वाली नवविवाहिताओं युवतियों और महिलाओं ने गणगौर पूजन करते हुए हल्दी की रस्म को निभाया. इस दौरान नवविवाहिताओ युवतियों और महिलाओं में खासा उत्साह देखने को मिला और नवविवाहिताओं युवतियों और महिलाओं ने हल्दी की थीम पर येलो कलर के कपड़े पहने और येलो कलर से घर को सजाया गया. 

इस दौरान उपस्थित सभी महिलाओं, यूवतियों और नवविवाहिताओ ने गणगौर व ईशर सांस्कृतिक गीतों के साथ हल्दी लगाई उसके बाद उपस्थित सभी नवयुवाहिताओं, युवतियों और महिलाओं ने राजस्थानी गीतों पर जमकर नृत्य किया. इस दौरान वार्ड 16 में गणगौर पूजन कर रही नवविवाहिता हिमानी चौधरी, विनीता शर्मा और प्रीति जांगिड़ ने बताया कि 14 मार्च को होलिका दहन की मिट्टी लाकर और उनके पिंड बनाकर हमने गणगौर पूजन शुरू किया था. 

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शीतला अष्टमी तक हमने सुबह पूजा की ओर शीतला अष्टमी के बाद कुम्हार के घर से मिट्टी लाकर गणगौर बनाई और तब से हम सुबह और शाम दोनों समय गणगौर का पूजन कर रहे हैं. शाम को घर-घर जाकर गणगौर माता की बिंदोरी निकाली जाती है और रात के समय सभी मिलकर राजस्थानी गीतों पर नृत्य करते हैं. 

अब हमने गणगौर पर्व पर शादी की रस्म की तरह हल्दी की रस्म का आयोजन किया है. शनिवार को मेहंदी की रस्म का आयोजन किया जाएगा और 31 मार्च ओर 1 अप्रैल को डीजे के साथ गणगौर की सवारी निकाली जाएगी और गणगौर का विसर्जन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि नवविवाहिताओ के लिए गणगौर पूजन का एक विशेष महत्व है.

इस अवसर पर चुंदड़ी रो सर्व सुहाग, आज सवेरे उठास्या म्हे तो, बाड़ी वाला बाड़ी खोल बाड़ी की किवाड़ी खोल छोरियां आई दूब लेण, हां जी म्हारी गौरा बाईने चुंदड़ी रो चाव, ऊंचो चंवरो चौकूंटो जल जमुना रो नीर मंगायो जी, म्हारी गौर तीसाई ओ राज, धूपियो देर धूपाइयो, उदियापुर स्यूं आई गणगौर आदि गीत गाए जाते हैं. 

नवविवाहिताएं अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना को लेकर गणगौर का पूजन करती है और कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए गणगौर का पूजन करती है. उन्होंने कहा कि स्थानीय सांस्कृतिक लोकगीतों के साथ गणगौर का पूजन किया जाता है.

इस अवसर पर आरती राजपूत, हिमानी चौधरी, प्रीति जांगिड़, विनीता शर्मा, स्नेहा जांगिड़, मीनू राजपूत, सोनू शर्मा, संतोष राजपूत, खुशबू प्रजापत, पूनम राजपूत, ममता प्रजापत, वंशिका चौधरी, नंदनी चौधरी, स्नेहा जांगिड़ सहित बड़ी संख्या में युवतियां और महिलाएं उपस्थित रही. 

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