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Dholpur News: महाशिवरात्रि के मौके पर सैपऊ महादेव मंदिर में उमड़ी भीड़, बम-बम भोले के जयकारे से गूंजा शिवालय

Dholpur News: जिले के ऐतिहासिक सैपऊ महादेव मंदिर एवं अन्य शिवालयों में आज महाशिव रात्रि के महापर्व पर श्रद्धालुओं का जन सैलाव उमड़ पड़ा. सुबह से ही बम-बम भोले के जयकारे शिव मंदिरों में गूंजने लगे.

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Dholpur News: महाशिवरात्रि के मौके पर सैपऊ महादेव मंदिर में उमड़ी भीड़, बम-बम भोले के जयकारे से गूंजा शिवालय
Zee Rajasthan Web Team|Updated: Feb 26, 2025, 09:09 AM IST
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Dholpur News: जिले के ऐतिहासिक सैपऊ महादेव मंदिर एवं अन्य शिवालयों में आज महाशिव रात्रि के महापर्व पर श्रद्धालुओं का जन सैलाव उमड़ पड़ा. सुबह से ही बम-बम भोले के जयकारे शिव मंदिरों में गूंजने लगे. श्रद्धालुओं ने भोलेनाथ के दरबार में मत्था टेक कर आराधना की. दूध,पंचगव्य,शहद एवं गंगाजल से भगवान भोले शंकर का अभिषेक किया और हजारों की तादाद में शिवलिंग पर कांबड़ चढ़ाई जा रही है.

महाशिवरात्रि के पर्व पर जिले के सैपऊ के महादेव मंदिर पर लक्खी मेले के साथ ही सुबह से कांबड़ो का आना शुरू हो गया, जो देर शाम तक जारी रहेगा. ग्रामीण अंचलों से आये कांबडियों ने शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित कर पूजा अर्चना की. जाहिर है सैपऊ के लक्खी मेले में लाखो की तादाद में श्रद्धालु बड़ी आस्था एवं मनोकामना के साथ आते हैं. श्रद्धालुओं ने शिवलिंग का विधि विधान द्वारा पूजन एवं अभिषेक कर भोले भंडारी को दुग्ध एवं पंचगव्य से शाही स्नान कराया गया.

उसके बाद गंगाजल की सहस्त्र धारा छोड़ी गई. मेले में क़ानून व्यवस्था को कायम करने के लिए भारी मात्रा में पुलिस जाप्ता तैनात किया है, जो मेले की हर गतिविधि पर नजर बनाये हुए हैं. वहीं धौलपुर शहर के ऐतिहासिक चोपड़ा वाले महादेव पर सुबह से ही श्रद्धालु दुग्ध,पंचगव्य,शहद एवं गंगाजल से भोले भंडारी का अभिषेक कर मनौती मांग रहे हैं. चौपड़ा महादेव मंदिर का निर्माण रियासतकाल में महाराज ने कराया और इसके सुबह दर्शन कर महाराज अपनी दिनचर्या की शुरुआत करते थे.

धौलपुर जिले से करीब तीस किलोमीटर दूर सैपऊ महादेव मंदिर न केवल जन-जन की श्रद्धा का केंद्र हैं. बल्कि अपनी भव्यता ओर नक्काशी का अद्भुत नमूना भी हैं. मोर्य कालीन स्थापत्य कला का जीवंत उदाहरण है. इनको राम रामेश्वर भी कहा जाता है. पार्वती नदी की ओर धौलपुर जिले के सैपऊ कस्बे से करीब तीन किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर महाराजा भगवंत सिंह ओर उनके संरक्षक कन्हेयालाल राजधर की धार्मिक आस्था का परिचय है.

मंदिर में स्थापित शिवलिंग करीब सात सौ वर्ष पुराना है यह शिवलिंग संवत 1305 में तीर्थाटन करते हुए यहाँ आये श्यामरतन पुरी ने एक पेड़ के नीचे अपना धुना लगा लिया और कुछ दिन बाद उन्हें आभास हुआ की इन झाड़ियो में शिवलिंग दबा है. झाड़ियो को हटाकर इस जगह की खुदाई की तो शिवलिंग दिखाई दिया. 

खुदाई करते समय शिवलिंग खंडित हो गया और खंडित मूर्ति को निषेध मानकर श्यामरतन पुरी ने मिटटी से दबाना शुरू किया. मूर्ति मिटटी में नहीं दबी, जितना दबाते गए वो उतनी ही बाहर निकलती गयी ओर आठ फीट तक मिटटी का ढेर लगाने के बाद भी शिवलिंग दिखता ही रहा. इसके बाद उन्होंने गोलाकार चबूतरा नुमा बनाकर शिवलिंग की पूजा-अर्चना शुरू कर दी.

ऐतिहासिक महादेव मंदिर पर राजस्थान समेत उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश एवं हरियाणा के श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने पहुंच रहे हैं. वहीं हरिद्वार,सोरों एवं कर्णवास से क़ाबड़िये गंगाजल लेकर भगवान शंकर को अर्पित कर रहे हैं.

 

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