Dungarpur Holi Celebration: होली के अवसर पर गांव में एक अनोखी परंपरा का आयोजन किया गया. ढोल-बाजे के साथ होली दर्शन के बाद, गांव के युवा और बुजुर्ग सभी ने होली के धधकते अंगारों पर नंगे पैर चलने की परंपरा को निभाया. यह एक अद्वितीय और रोमांचक दृश्य था, जिसमें गांव के लोगों ने होली की आग पर अपनी आस्था और साहस का प्रदर्शन किया.
डूंगरपुर जिले के कोकापुर गांव में होली के अवसर पर एक अनोखी परंपरा का आयोजन किया गया. होलिका दहन के दूसरे दिन, गांव के लोगों ने होली के धधकते अंगारों पर नंगे पैर चलने की परंपरा को निभाया. यह परंपरा गांव में लंबे समय से चली आ रही है.
गांव में पहले होली माता की पूजा-अर्चना की गई, इसके बाद ढोल-बाजे के साथ होली दर्शन किया गया. इसके बाद गांव के युवा और बुजुर्ग सभी होली के धधकते अंगारों पर नंगे पैर ही चले, और होली माता के जयकारे लगाते रहे. यह एक अद्वितीय और रोमांचक दृश्य था, जिसमें गांव के लोगों ने होली की आग पर अपनी आस्था और साहस का प्रदर्शन किया.
शुक्रवार तड़के से ही गांव के लोग ढोल-कुंडी की थाप पर गांव के होली चौक पर इकट्ठे हुए. गांव के हनुमान मंदिर और शिव मंदिर में लोगों ने दर्शन और पूजा-अर्चना की. इसके बाद लोग ढोल-कुंडी की थाप पर गैर खेलते हुए होली चौक पर पहुंचे. वहां पहले होलिका के दर्शन किए गए और फिर लोगों ने होली की धधकती आग में श्रीफल भेंट किया. यह एक रंगीन और उत्साही दृश्य था, जिसमें गांव के लोगों ने होली के त्योहार को मनाने के लिए एकत्रित हुए.
गांव के लोगों ने होलिका से धधकते अंगारों पर चलने के लिए प्रार्थना की. इसके बाद, जयकारे लगाते हुए गांव के युवा और बुजुर्ग नंगे पैर चलने लगे. इस दौरान किसी को भी चोट नहीं आई और न ही अंगारों पर चलने में कोई दिक्कत हुई. इसके पीछे मान्यता है कि होलिका दहन के बाद धधकते अंगारों पर चलने से गांव में कोई भी आपदा नहीं आती है और गांववासियों का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है. यह एक पारंपरिक रीति-रिवाज है, जिसे गांव के लोग पीढ़ियों से निभाते आ रहे हैं.