Jaipur News: राजस्थान में ERCP पर बरसों सियासत हुई,लेकिन आखिरकार अब इंतजार खत्म हो ही रहा है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी महीने ERCP की नींव रखेंगे. केंद्र,राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच हुए MOU के बाद अब भजनलाल सरकार की पहली वर्षगांठ पर इंतजार खत्म हो जाएगा.
ERCP किसी सपने से कम नहीं-
राजस्थान में ईस्टन कैनाल प्रोजेक्ट किसी सपने से कम नहीं है,लेकिन अब ये सपना 17 साल बाद सच में साकार हो रहा है.क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जयपुर के टोंक रोड पर ददिया गांव में संभवतया 17 दिसंबर को ERCP की नींव रखेंगे.
इस प्रोजेक्ट के जरिए राजस्थान के 21 जिलों की प्यास बुझ पाएगी.पहले चरण में बीसलपुर और ईसरदा बांध तक पानी पहुंचेगा.रामगढ़ बैराज,महलपुर बैराज,नौनेरा में नहरी तंत्र बनेंगे.मेज नदी पर पंपिंग स्टेशन बनाया जाएगा.2.6 किमी.टनल बनेगी.परियोजना में 158 बांध-तालाब,अन्य जल स्रोतों तक पानी पहुंचेगा.
कब कब अटकी ERCP की DPR-
- पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की डीपीआर मध्य प्रदेश-राजस्थान अंतरराज्यीय स्टेट कंट्रोल बोर्ड की साल 2005 में बैठक में हुए निर्णयों के अनुसार बनी जिसमें ‘राज्य किसी परियोजना के लिए अपने राज्य के कैचमेंट से प्राप्त पानी, दूसरे राज्य के कैचमेंट से प्राप्त पानी का 10 प्रतिशत प्रयोग इस शर्त के साथ कर सकते हैं.फिर बात नहीं बन पाई.
- इसके बाद प्रोजेक्ट में आने वाले बांधों की एनओसी उनसे बांध बनने के बाद 2017 में ली गई. मध्यप्रदेश सरकार ने ईआरसीपी के लिए एनओसी नहीं दी.उस समय राजस्थान के सामने 3 शर्तें रखी. जिसमें पहली- जलभराव क्षेत्र राजस्थान की जमीन पर है. दूसरी- प्राप्त पानी राजस्थान के कैचमेंट का है और तीसरी- मध्यप्रदेश के कैचमेंट क्षेत्र से प्राप्त पानी 10% से कम है.
-8 जुलाई 2019 को राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तत्कालीन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को एक पत्र लिखा. इसके जवाब में कमलनाथ ने 27 जनवरी 2020 को लिखा. इसमें 50 की जगह 75 प्रतिशत जल निर्भरता के आधार पर डीपीआर बनाने की बात मध्य प्रदेश सरकार की ओर से की गई.
- इसी तरह एक और पत्र 15 अप्रैल 2022 को एमपी के तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने केंद्र को लिख दिया.इसके बाद विधानसभा चुनाव नजदीक आते आते राजस्थान में का ERCP का मुद्दा पूरी तरह से चुनावी मुद्दा बन गया था. चुनाव आते आते इस गहलोत ने ERCP के लिए 9,600 का बजट राज्य कोष से जारी किया.
- इसके बाद राजस्थान में भजनलाल सरकार और मध्यप्रदेश में मोहन यादव सरकार ने पूरे मामले को सुलझाया,डीपीआर बनी. केंद्र और दोनों के राज्यों के बीच एमओयू हुआ.डीपीआर पर मुहर लगी और अब वो दिन का गया जब पीएम मोदी इस प्रोजेक्ट की नींव रखेंगे.
3.50 करोड़ से ज्यादा की आबादी को फायदा-
45 हजार करोड़ के इस प्रोजेक्ट में 13 जिलों के 2.80 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई की सुविधा मिल सकेगी.पूर्वी राजस्थान के 3.50 करोड़ लोगों को पीने का पानी मिल सकेगा.पूर्वी राजस्थान का भूजल स्तर सुधरेगा. राजस्थान में औद्योगिक निवेश बढ़ेगा.इस प्रोजेक्ट में 10 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार वजन करेगी,जबकि 90 प्रतिशत केंद्र सरकार की हिस्सेदारी होगी.