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Holi 2025: कैसे रंगों के त्योहार का नाम पड़ा होली, राजस्थान में धूमधाम से मनाने के पीछे की क्या है कहानी...

Holi 2025:  भारत में होली का त्योहार उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है! लट्ठमार होली से लेकर फूलों की होली तक, हर परंपरा के पीछे एक अनोखी कहानी और महत्व है. आइए होली की इन रंगीन परंपराओं को जानें और मनाएं! 
 

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Holi 2025: कैसे रंगों के त्योहार का नाम पड़ा होली, राजस्थान में धूमधाम से मनाने के पीछे की क्या है कहानी...
Zee Rajasthan Web Team|Updated: Mar 10, 2025, 12:04 PM IST
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Holi 2025: भारत में होली का त्योहार हर साल बहुत उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है. यह त्योहार न केवल रंगों और खुशियों का प्रतीक है, बल्कि यह विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं का भी मेल है. भारत के हर कोने में होली को अनोखे अंदाज में मनाया जाता है, जैसे कि लट्ठमार होली और फूलों की होली. इन परंपराओं के पीछे की कहानी और उनका महत्व जानना बहुत दिलचस्प है.
 

होली का त्योहार हमें जीवन की विविधता और रंगों की महत्ता को समझने का अवसर प्रदान करता है. यह त्योहार हमें सिखाता है कि जीवन में सुख-दुख, दोस्ती-दुश्मनी के बीच हमें संतुलन बनाना चाहिए और हर चीज को मिलाकर एक सुंदर तस्वीर बनानी चाहिए. होली के पीछे की पौराणिक कथाएं और ऐतिहासिक परंपराएं हमें जीवन के मूल्यों और सिद्धांतों को समझने में मदद करती हैं.
 

होली का त्योहार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो कि ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार फरवरी या मार्च के महीने में पड़ता है. यह त्योहार विभिन्न राशियों और नक्षत्रों के संयोजन के आधार पर तय किया जाता है, जिसके कारण इसकी तारीखें हर साल अलग-अलग होती हैं.

 

 

 

होली के पीछे की कथा एक अहंकारी राजा हिरण्यकश्यप की कहानी है, जो खुद को भगवान मानने लगा था. उसके बेटे प्रह्लाद ने भगवान विष्णु की भक्ति शुरू कर दी, जो राजा को पसंद नहीं आया. राजा ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन वो सफल नहीं हो पाया. अंत में, राजा ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को आग में जलाने का आदेश दिया, लेकिन होलिका खुद आग में जल गई और प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ. यह कथा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, और इसीलिए हम होलिका दहन करते हैं.
 

राधा-कृष्ण की प्रेम भरी होली की कथा बहुत ही रोमांचक है. भगवान कृष्ण को बचपन में यह चिंता सताती थी कि उनकी त्वचा सांवली क्यों है और राधा की त्वचा गोरी क्यों है. उनकी मां यशोदा ने मजाक में कहा कि कृष्ण राधा के गालों पर रंग लगा दें. इस मजाक ने रंग खेलने की परंपरा को जन्म दिया और आज भी राधा-कृष्ण की प्रेम भरी होली को इसी रंगीन परंपरा के साथ मनाया जाता है.

होली के पीछे कई महत्वपूर्ण तथ्य छिपे हुए हैं. होलिका दहन के माध्यम से हमें यह सीखने को मिलता है कि सच्चाई की जीत हमेशा होती है, चाहे कितनी भी बड़ी मुश्किलें क्यों न हों. यह दिन हमें अपने गिले-शिकवे मिटाने और दुश्मनों को दोस्त बनाने का मौका देता है. इसके अलावा, होली किसानों के लिए भी एक महत्वपूर्ण त्योहार है, क्योंकि यह नई फसल के स्वागत का समय होता है.

भारत में होली का त्योहार विभिन्न रूपों और रंगों में मनाया जाता है. मथुरा-वृंदावन में लट्ठमार होली का आयोजन होता है, जहां महिलाएं पुरुषों पर लाठियों से हमला करती हैं. राजस्थान में रॉयल होली का आयोजन होता है, जो अपने अनोखे रंगों और उत्साह के लिए जाना जाता है. पंजाब में होला मोहल्ला का आयोजन होता है, जो एक रंगीन और ऊर्जावान त्योहार है. केरल में मंजुल कुली होली का आयोजन होता है, जो अपने अनोखे रंगों और नृत्यों के लिए जाना जाता है.
 

Disclaimer: यह जानकारी धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित है, और इसकी पुष्टि के लिए कोई वैज्ञानिक या ऐतिहासिक प्रमाण नहीं हैं. यह जानकारी सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत की गई है, और इसके लिए ज़ी राजस्थान किसी तरह की पुष्टि या जिम्मेदारी नहीं लेता है.

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