trendingNow/india/rajasthan/rajasthan12169477
Home >>जयपुर

Jaipur: खैरथल में 40 करोड़ का विवादित टैंडर रद्द, लेकिन दोषी इंजीनियर्स पर कब होगी कार्रवाई?

Jaipur News- जलदाय विभाग ने अलवर, खैरथल एनसीआर के 40 करोड़ का विवादित टैंडर रद्द कर दिया. जी मीडिया ने इस खबर को प्रसारित किया था,जिसके बाद फाइनेंस कमेटी ने टैंडर रद्द करने का फैसला लिया.अब यह टैंडर फिर से किया जाएगा. जलदाय विभाग के चीफ इंजीनियर केडी गुप्ता ने एन वक्त पर ये इस टैंडर की तारीख बढ़वाई थी.

Advertisement
water supply department ZeeRajasthan
water supply department ZeeRajasthan
Ashish Chauhan|Updated: Mar 22, 2024, 03:24 PM IST
Share

Jaipur News- जलदाय विभाग में मिलीभगत के खेल के बीच एक बार फिर से जी मीडिया की खबर का बड़ा असर हुआ है. फाइनेंस कमेटी की मीटिंग में खैरथल के 40 करोड़ के टैंडर को विभाग ने रद्द कर दिया. अब खैरथल में फिर से टैंडर प्रक्रिया शुरू होगी. पीएचईडी में सारी पारदर्शिता को दरकिनार करते हुए 40 करोड़ की निविदा में तारीख बढ़ाते हुए मनपसंद फर्म के लिए जगह बनाई थी. 

जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि पिछले साल 29 मार्च को 40 करोड़ की निविदा शाम 5 बजे तक डालनी थी. लेकिन इससे पहले चीफ इंजीनियर शहरी केडी गुप्ता ने 4.40 बजे तत्कालीन अलवर एडिशनल चीफ इंजीनियर पीसी मिढ्ढा को फोन कर नियमों को ताक पर रख बिड की तारीख बढाई.जबकि नियमों के तहत टैंडर तिथि से दो दिन पहले ही तारीख बढाई जा सकती है.

अर्बन सेल के ये इंजीनियर्स थे जिम्मेदार

1.तत्कालीन अरबन मुख्य अभियंता केडी गुप्ता

2.तत्कालीन अलवर अतिरिक्त मुख्य अभियंता पीसी मिढ्ढा
3.तत्कालीन अर्बन अतिरिक्त मुख्य अभियंता अमिताभ शर्मा

4.तत्कालीन अरबन अधीक्षण अभियंता मुकेश गोयल
5.तत्कालीन अर्बन एक्सईएन रीचा

खैरथल पेयजल योजना में निविदा को SPPP ऑनलाइन पोर्टल पर नहीं डाला. इसका नतीजा ये रहा कि इसमें केवल दो फर्में ही भाग ले पाई.इसमें से एक फर्म टेक्निकल बिड में बाहर कर दिया और दूसरी मनपसंद फर्म कैलाश चंद चौधरी को टैंडर मिलना तय हो गया. एनसीआर की इस योजना में फर्म कैलाश चंद चौधरी की 57 करोड़ यानी 41.46 प्रतिशत हाईयर रेट आई. इसके बाद 2018 की बीएसआर रेड 17.61 प्रतिशत हायर रेट पर एफडी में पास हो गया.ये खेल होता इससे पहले पूरे टैंडर प्रक्रिया की गडबडी की शिकायते हो गई.लेकिन चीफ इंजीनियर ये मानने को तैयार नहीं की उनके दफ्तर से मॉनिटरिंग नहीं होने के कारण टेंडर में ये गड़बड़ी हुई.

6 महीने से 5 साल तक की कारावास का प्रावधान

अलवर के तत्कालीन सांसद और तिजारा से विधायक बाबा बालकनाथ योगी ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था, जिसके बाद टैंडर जरूर रद्द हो गया, लेकिन इंजीनियर्स के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही. पारदर्शिता को भंग करने पर संबंधित अफसरों पर RTPP 2012 के 41 के तहत 6 महीने से 5 साल तक के कारावास के साथ जुर्माने का प्रावधान प्रावधान है. ऐसे में क्या पूरे मामले में पीएचईडी पारदर्शिता के साथ FIR दर्ज करवाएंगा? क्या पारदर्शिता तार-तार करने वाले जिम्मेदारों पर ठोक कार्रवाई होगी?

 

 

Read More
{}{}