Rajasthan News: 3 से 5 मार्च तक राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में 176 देशों के 450 से ज्यादा एक्सपर्ट कचरे के निस्तारण और उसके रिसाइक्लिंग को लेकर चर्चा करेंगे. आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा मार्च महीने में आयोजित होने वाली एशिया पेसिफिक उच्चस्तरीय 12वीं क्षेत्रीय थ्री आर और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम जयपुर में आयोजित की जाएगी. स्वायत्त शासन विभाग के प्रमुख सचिव राजेश यादव और डीएलबी के मुख्य अभियंता प्रदीप गर्ग ने नगर निगम हेरिटेज द्वारा किए जा रहे कचरे के निस्तारण और रिसाइक्लिंग को लेकर किए जा रहे प्रयासों का निरीक्षण किया.
लांगडियावास में स्थित वेस्ट टू एनर्जी प्लांट, आरडीएफ प्लांट, सीएनडी प्लांट का निरीक्षण कर अवलोकन किया. साथ ही मथुरादासपुरा स्थित डंपिंग यार्ड में लीगेसी वेस्ट का बायो रिमेडिएशन प्रक्रिया का भी निरीक्षण किया. प्रमुख सचिव राजेश यादव ने प्रोजक्ट से संबंधी जरूरी दिशा निर्देश भी दिए. हेरिटेज निगम आयुक्त अरूण हसीजा ने बताया कि जयपुर के आरआईसी सेंटर में तीन मार्च से पांच मार्च तक एशिया पेसिफिक उच्चस्तरीय 12वीं क्षेत्रीय थ्री आर और सर्कुलर अर्थव्यवस्था फोरम वर्कशॉप आयोजित होने जा रही है. वर्कशॉप जयपुर में पहली बार आयोजित हो रही है. जहां 450 से अधिक देश- विदेश से आने वाले एक्सपर्ट कचरे के निस्तारण और रिसाइकिल पर चर्चा करेंगे.
इस दौरान वर्कशॉप में आने वाले प्रतिनिधि हेरिटेज निगम के प्लांटों का भी अवलोकन कर हेरिटेज निगम की कार्यशैली से अवगत होंगे. उन्होंने बताया कि लांगडियावास वेस्ट टू एनर्जी प्लांट मे प्रतिदिन 700 टन कचरे को रिसाइकिल कर 12 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा. प्लांट का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है. प्लांट में ट्रायल फेस पर नगर निगम से प्रतिदिन कचरा लेना शुरू हो गया है. इसी तरह कंस्ट्रक्शन एण्ड डिमोलिशन प्लांट का निर्माण लांगडियावास में हो चुका है. इस प्लांट पर प्रतिदिन 300 टन कचरे का रिसाइकिल किया जाएगा. इसमें मकानों और अन्य भवन निर्माण के सीएनडी वेस्ट का रिसाइकिल कर टाइल्स और ईंट बनाई जा रही है.
वही एमआरएफ प्लांट में सूखे कचरे का संग्रहण कर 300 टन कचरे से एमआरएफ फेसिलिटी का निर्माण प्रगति पर है. इसका पूर्ण निर्माण फरवरी माह में कर लिया जाएगा. इस प्लांट में होटल और रेस्टोरेंट से सूखा कचरा लिया जाएगा. यूजर चार्ज का 50 प्रतिशत हिस्सा नगर निगम हेरिटेज को दिया जाएगा. मथुरादासपुरा डम्पसाइट पर लिगेसी वेस्ट का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण के लिए बायोरेमेडेसन या बायोमाईनिंग कार्य किया जा रहा है. प्रथम फेज में लगभग 90 प्रतिशत लिगेसी वेस्ट का निस्तारण किया जा चुका है.
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