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Jaipur News: जयपुर, जोधपुर, कोटा में बड़ा बदलाव! फिर होगा एक ही नगर निगम

Jaipur News: राजस्थान सरकार ने इन तीन शहरों में दो-दो नगर निगमों को मिलाकर एक करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. परिसीमन के बाद जयपुर में 150 और जोधपुर-कोटा में 100-100 वार्ड होंगे. इससे प्रशासनिक कार्यों में तेजी आएगी और जनता को राहत मिलेगी.

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Deepak Goyal|Updated: Feb 17, 2025, 07:05 PM IST
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Rajasthan News: राजस्थान सरकार ने जयपुर, जोधपुर और कोटा में दो-दो नगर निगमों को फिर से एक करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. सरकार के इस फैसले से इन शहरों में पांच साल बाद फिर से एक मेयर और एक नगर निगम का ढांचा लागू होगा. स्वायत्त शासन विभाग ने इस बदलाव की दिशा में कदम उठाते हुए परिसीमन और पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसके तहत वाडों के पुनर्गठन के प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं. परिसीमन प्रक्रिया के तहत अगले 33 दिनों में प्रस्ताव तैयार कर प्रकाशित किए जाएंगे. इसके बाद 21 मार्च से 10 अप्रैल तक आम जनता से आपत्तियां और सुझाव लिए जाएंगे. सभी सुझावों की समीक्षा के बाद 1 मई तक राज्य सरकार को अंतिम रिपोर्ट भेजी जाएगी, जिसके आधार पर 15 मई तक अनुमोदन प्रक्रिया पूरी होगी. इस बदलाव के बाद जयपुर में वार्डों की संख्या 150 होगी, जबकि जोधपुर और कोटा में 100-100 वार्ड रहेंगे.

305 निकायों का भी होगा पुनर्गठन
राज्य सरकार ने प्रदेश की सभी 305 नगरीय निकायों में नए सिरे से वार्ड परिसीमन करने का निर्णय लिया है. 2011 की जनगणना के आधार पर न्यूनतम 20 से लेकर अधिकतम 150 वार्ड बनाए जाएंगे. जिन शहरों की आबादी पांच से दस लाख के बीच है, उनमें 80 वार्ड होंगे, जबकि दस से तेरह लाख की जनसंख्या वाले शहरों में 100 वार्ड निर्धारित किए जाएंगे. पिछले पांच वर्षों में दो नगर निगम बनने के बाद प्रशासनिक पद तो बढ़ गए, लेकिन स्टाफ की संख्या सीमित रहने से कार्यशैली प्रभावित हुई. इससे जनता को अपने कार्यों के लिए इधर-उधर भटकना पड़ा. कई नागरिक आज भी भ्रमित हैं कि उनका इलाका किस नगर निगम में आता है. अब एक निगम होने से यह समस्या खत्म होगी और नगर निकायों के कामकाज में तेजी आएगी.

जनता को मिलेगी राहत, पार्षदों की ताकत बढ़ेगी
एक नगर निगम बनने से पार्षदों का कार्यक्षेत्र बढ़ेगा और वे ज्यादा प्रभावी भूमिका निभा सकेंगे. इसके अलावा, प्रशासनिक निर्णय तेजी से होंगे और विकास कार्यों में पारदर्शिता आएगी. सरकार की इस पहल से शहरों में बजट का बेहतर उपयोग होगा, स्वच्छता रैंकिंग में सुधार आएगा और बुनियादी ढांचे के विकास को गति मिलेगी. इससे नागरिकों को अधिक सुविधाएं मिलेंगी और नगर प्रशासन की कार्यशैली अधिक प्रभावी होगी.

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