Rajasthan News: गुलाबी नगरी जयपुर समेत पूरे देश में इस बार महाशिवरात्रि का पर्व विशेष ज्योतिषीय संयोगों के बीच श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाएगा. 26 फरवरी की सुबह से 27 फरवरी तक चलने वाले इस महापर्व पर चार प्रहर की विशेष पूजा होगी. शिवालयों में श्रद्धालु जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक करेंगे, वहीं व्रत और महामृत्युंजय जाप से आध्यात्मिक उन्नति को बढ़ावा मिलेगा.
149 साल बाद बना दुर्लभ संयोग
इस बार महाशिवरात्रि पर ऐसा दुर्लभ योग बन रहा है, जो 149 साल पहले 1873 में बना था. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, सूर्य, बुध और शनि एक साथ कुंभ राशि में रहेंगे, जिससे विशेष आध्यात्मिक और धार्मिक लाभ मिलेगा. शुक्र मीन राशि में रहकर राहु के साथ युति बनाएगा, जिससे मालव्य राजयोग का निर्माण होगा. शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि में स्थित रहेगा, जिससे शश योग बनेगा, जो आर्थिक और सामाजिक उन्नति देगा.
शिवालयों में भक्तों का सैलाब
जयपुर को ‘छोटी काशी’ कहा जाता है, और यहां के ताड़केश्वर महादेव, झाड़खंड महादेव, जंगलेश्वर, भूतेश्वर, रोजगारेश्वर, चमत्कारेश्वर सहित अन्य शिवालयों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ने लगेगी. मंदिरों को भव्य सजावट और रंग-बिरंगी रोशनी से सुसज्जित किया गया है. पहली बार प्रयागराज महाकुंभ से लाए गए पवित्र जल से शिव अभिषेक करने का सौभाग्य भक्तों को मिलेगा.
चार प्रहर की पूजा का महत्व
महाशिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा का विशेष महत्व होता है. इस बार पूजा के लिए निम्नलिखित समय निर्धारित किए गए हैं:
1. प्रथम प्रहर: 26 फरवरी शाम 6:22 बजे से रात 9:30 बजे तक
2. द्वितीय प्रहर: रात 9:30 बजे से मध्यरात्रि 12:39 बजे तक
3. तृतीय प्रहर: मध्यरात्रि 12:40 बजे से 27 फरवरी सुबह 3:48 बजे तक
4. चतुर्थ प्रहर: 27 फरवरी सुबह 3:49 बजे से 6:57 बजे तक
श्रद्धालु इस दौरान जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और अन्य पूजा सामग्री अर्पित कर शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे.
जयपुर का एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर इस बार भी रहेगा बंद
हर साल महाशिवरात्रि के दिन खुलने वाला जयपुर का ऐतिहासिक एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर इस बार भी भक्तों के लिए नहीं खुलेगा. यह मंदिर 2020 के बाद से बंद पड़ा है. शुरुआत में इसे कोविड-19 महामारी के कारण बंद किया गया था, लेकिन अब महामारी समाप्त होने के बावजूद मंदिर के कपाट न खुलने से श्रद्धालुओं में निराशा है.
शिवरात्रि पर उपवास और जागरण का महत्व
शिवरात्रि पर उपवास, मंत्र जाप और रात्रि जागरण का विशेष महत्व माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने और रुद्राभिषेक करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. शिवजी अपने सरल और निर्भीक स्वभाव के कारण ‘भोलेनाथ’ कहे जाते हैं और अपने भक्तों की भक्ति से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं.
महाशिवरात्रि: शिव से सीखने योग्य जीवन मंत्र
महाशिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला सिखाने वाला अवसर भी है. शिव परिवार हमें यह सिखाता है कि विषम परिस्थितियों में भी संतुलन बनाए रखना चाहिए. शिवजी का नीलकंठ स्वरूप त्याग और समर्पण की भावना को दर्शाता है. उनका परिवार - माता पार्वती, श्री गणेश, भगवान कार्तिकेय और नंदी - हमें प्रेम, समर्पण और कर्तव्य का पाठ पढ़ाता है.
महाशिवरात्रि का पर्व हमें यह याद दिलाता है कि जीवन में संतुलन, प्रेम, त्याग और भक्ति का विशेष महत्व है. ‘हर हर महादेव’ के जयघोष के साथ शिवभक्त इस महापर्व को मनाएंगे और अपने आराध्य की कृपा प्राप्त करेंगे.
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