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Old Pension Scheme: ओपीएस की बहाली को लेकर राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड के बाद केंद्र सरकार भी बड़ी तैयारी में, क्या सुलझेगा पेंच

Old Pension Scheme: ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच विवाद जारी है, आपको बता दें कि राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में ओपीएस की बहाली के बाद केंद्र सरकार भी बड़ी तैयारी में है. अब क्या केंद्र सरकार भी अपने कर्मचारियों के लिए ओपीएस पर कोई बड़ा कदम उठाएगी. 

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फाइल फोटो
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Tarun Chaturevedi|Updated: Mar 15, 2023, 11:12 AM IST
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Old Pension Scheme: राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य कई सालों से ओपीएस की पैरवी कर रहे हैं. इन राज्यों ने अपने कर्मचारियों के लिए ओपीएस की बहाली कर दी है, पर केंद्र सरकार की पूर्ण सहमति नहीं होने की वजह से पेंच फंसा हुआ है. लेकिन अब ओपीएस को लेकर जो खबरें आ रही हैं,

उसके मुताबिक केंद्र सरकार भी अपने कर्मचारियों के लिए ओपीएस की बहाली कर सकता है, आपको बता दें कि वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में इसका जवाब दिया था.

उन्होंने कहा कि सरकार ओपीएस (Old Pension Scheme) को बहाल करने की किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है. उन्होंने इसके साथ ही कहा कि जो राज्य OPS में वापसी की इच्छा रखते हैं, उन्हें संचित NPS फंड की वापसी नहीं मिलेगी. इसके लिए PFRDA अधिनियम में कोई प्रावधान नहीं है. 

गैर बीजेपी वाले राज्यों से उठ रही है मांग
ओपीएस की बहाली की मांग जिन राज्यों से की जा रही है, वहां गैर बीजेपी की सरकारें हैं, जिसमें राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों के नाम शामिल हैं.

जानकारी के अनुसार संचित एनपीएस में फंड वापसी का कोई प्रावधान नहीं है.PFRDA अधिनियम में भी कोई प्रावधान नहीं है.ओपीएस मामले पर राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकारों ने OPS को वापस करने के अपने फैसले के बारे में केंद्र को सूचित किया है.साथ ही इन राज्यों ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत संचित कोष की वापसी का अनुरोध किया है.

केंद्र सरकार का प्रस्ताव पर विचार नहीं  

केंद्र सरकार की ओर से कराड़ ने बताया कि केंद्र सरकार 1 जनवरी, 2004 के बाद भर्ती हुए केंद्र सरकार के कर्मचारियों के संबंध में OPS को बहाल करने के किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है.

1 जनवरी, 2004 से सरकारी सेवा (सशस्त्र बलों को छोड़कर) में सभी नई भर्तियों के लिए इसे अनिवार्य कर दिया गया था. 1 मई, 2009 से स्वैच्छिक आधार पर सभी नागरिकों के लिए भी लागू कर दिया गया है.

अब देखना होगा की क्या केंद्र और राज्यों के बीच जारी ओपीएस विवाद को लेकर कोई बड़ा निर्णय हो पाएगा. या ओपीएस के लाभार्थियों को सिर्फ इंतजार ही करना पड़ेगा. यदि इस मसले पर केंद्र और राज्य सरकारें आपसी सहमति से कोई निर्णय लेंगी तो इससे ओपीएस का लाभ प्राप्त करने वालों को फायदा होगा.

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