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Breaking News: Rajasthan के दोनों डिप्टी सीएम के खिलाफ दायर PIL खारिज, हाईकोर्ट ने कहा- ये सब पब्लिसिटी के लिए

Rejected the PIL :  राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पद पर दीया कुमारी व प्रेमचंद बैरवा के शपथ लेने और उनकी नियुक्ति को असंवैधानिक बताने वाली जनहित याचिका को फिजूल की बताकर खारिज कर दिया है.

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Breaking News: Rajasthan के दोनों डिप्टी सीएम के खिलाफ दायर PIL खारिज, हाईकोर्ट ने कहा- ये सब पब्लिसिटी के लिए
Updated: Jan 23, 2024, 09:14 PM IST
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Rajasthan Highcourt rejected the PIL : राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पद पर दीया कुमारी व प्रेमचंद बैरवा के शपथ लेने और उनकी नियुक्ति को असंवैधानिक बताने वाली जनहित याचिका को फिजूल की बताकर खारिज कर दिया है.

डिप्टी सीएम के खिलाफ दायर PIL खारिज

इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपए का हर्जाना भी लगा दिया है. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश याचिकाकर्ता अधिवक्ता ओमप्रकाश सोलंकी की जनहित याचिका पर दिए.

अदालत ने याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपए का हर्जाना भी लगाया

अदालत ने कहा कि मौजूदा समय में जनहित याचिकाएं बिना ठोस अध्ययन किए दायर हो रही है, जो कि पीआईएल के दुरुपयोग की श्रेणी में आती है. मौजूदा पीआईएल में उठाए गए मुद्दे पर पहले से ही सुप्रीम कोर्ट और अलग-अलग हाईकोर्ट ने फैसले दे रखे हैं. इसके बावजूद भी इस मुद्दे पर फिर से पीआईएल पेश की गई है. ऐसी जनहित याचिकाओं में जनता का हित नहीं, बल्कि खुद की पब्लिसिटी का हित होता है.

याचिका में कहा गया की देश के संविधान में कहीं भी डिप्टी सीएम का कोई पद नहीं है लेकिन दीया कुमारी व प्रेमचंद बैरवा ने खुद को डिप्टी सीएम बताते हुए इस पद की शपथ ली है.

ऐसे में उनकी ओर से ली गई शपथ व डिप्टी सीएम पद पर नियुक्ति अवैधानिक है. संविधान में केवल मंत्री पद की शपथ लेने का ही प्रावधान है. इसके अलावा बाद में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में दोनों ने शपथ नहीं ली है. ऐसे में उन्हें किसी पद पर नहीं माना जाए और दोनों की डिप्टी सीएम पद पर ली गई शपथ व नियुक्ति को अवैध माना जाए.

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जवाब में केन्द्र सरकार के एएसजी आरडी रस्तोगी ने कहा कि कानूनी प्रावधानों के अनुसार यदि डिप्टी सीएम के तौर पर कोई शपथ ली है तो भी वह अवैधानिक नहीं हो जाती. इसी समान मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट ने पहले ही फैसले दे रखे हैं इसलिए पीआईएल को खारिज किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिकाकर्ता पर हर्जाना लगाते हुए पीआईएल खारिज कर दी है.

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