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Rajasthan Assembly: सदन में भजनलाल सरकार पर बरसे टीकाराम जूली, बोले- खुद पैदा किया प्रतिरोध...

Rajasthan Assembly: नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सदन में भजनलाल सरकार पर तीखा हमला बोला और कई गंभीर आरोप भी लगाए. उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष खुद नहीं चाहता था कि गतिरोध खत्म हो.  

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Tika Ram Jully
Tika Ram Jully
Shashi Mohan|Updated: Feb 27, 2025, 09:28 PM IST
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Rajasthan Assembly: नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सदन में गतिरोध और वार्ता के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि उनका विरोध सिर्फ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर अमेरिकी टिप्पणी को लेकर था, और इस टिप्पणी को हटाने के लिए 7 दिन का प्रतिरोध सत्ता पक्ष ने खुद पैदा किया. 

इंदिरा गांधी के योगदान को किया याद
जूली ने इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश को एकजुट रखने और आतंकवाद खत्म करने के लिए उन्होंने अपने प्राण न्योछावर कर दिए. उन्होंने बैंकों के राष्ट्रीयकरण, रियासतों के विलय, परमाणु परीक्षण और पाकिस्तान के दो टुकड़े करने जैसे फैसलों का उल्लेख किया. जूली ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इंदिरा गांधी को "दुर्गा" का अवतार कहा था, इसलिए सत्ता पक्ष को उनके प्रति सम्मानजनक रवैया अपनाना चाहिए था.

सत्ता पक्ष की भूमिका पर सवाल
टीकाराम जूली ने कहा कि सरकार के मंत्रियों की परफॉर्मेंस सही नहीं है, और खुद मुख्यमंत्री उनसे नाराज हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नहीं चाहते थे कि सदन चले, लेकिन नेता सदन द्वारा बातचीत के लिए बुलाए जाने पर विपक्ष ने इसे स्वीकार कर लिया और प्रतिरोध खत्म कर दिया. 

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सदन में सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि सदन में जो गतिरोध पैदा हुआ, उसे पहले ही दिन हल किया जा सकता था, लेकिन सरकार ने इसे अनावश्यक रूप से खींचा. जूली ने कहा कि राजस्थान की जनता के खून-पसीने की कमाई से सदन चलता है, और यह बात सरकार को पहले ही सोचनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि सदन को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी सत्ता पक्ष और अध्यक्ष की होती है, और अब जब गतिरोध खत्म हो गया है, तो जनता के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए.

उन्होंने बजट पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार की नौकरियों को लेकर की गई घोषणाएं परस्पर विरोधाभासी हैं. पहले बजट में एक लाख नौकरियों की बात कही गई, फिर चार लाख, और अब सवा लाख नौकरियों की घोषणा कर दी गई है, जबकि 59,000 नौकरियां देने के दावे पर भी पारदर्शिता नहीं है. 

इसके अलावा, उन्होंने राज्य की आर्थिक स्थिति को लेकर चिंता जताई और कहा कि हर नागरिक पर लगभग एक लाख रुपये का कर्ज लादा जा चुका है, और सरकार एफआरबीएम की सीमा पार करने के करीब है. पंचायतों की वित्तीय स्थिति पर सवाल उठाते हुए उन्होंने बताया कि 15वें और 12वें वित्त आयोग की किस्तें अभी तक लंबित हैं, नरेगा के 3,500 करोड़ रुपये का भुगतान रुका हुआ है, और सरपंचों के चुनाव तक नहीं हो पा रहे हैं. 

राइजिंग राजस्थान को लेकर उन्होंने आरोप लगाया कि एमओयू केवल कागजी हैं और वास्तविकता में कई परियोजनाओं का काम पहले से जारी था, लेकिन उन्हें नए एमओयू में दिखाकर जनता को भ्रमित किया जा रहा है. अंत में, उन्होंने सरकार की घोषणाओं को दिखावटी बताते हुए पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की, ताकि राजस्थान की जनता को वास्तविक लाभ मिल सके.

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