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Rajasthan News: जयपुर में बढ़ते अतिक्रमण को लेकर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- निगम की विजिलेंस टीम में भारी करप्शन...

Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट ने जयपुर में बढ़ते अतिक्रमण पर सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि चंडीगढ़ जैसा शहर सुव्यवस्थित है, लेकिन जयपुर के हर बाजार में अतिक्रमण फैला है. कोर्ट ने विजिलेंस टीम पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए.

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Rajasthan High Court
Rajasthan High Court
Mahesh Pareek|Updated: Mar 19, 2025, 10:59 PM IST
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Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट ने पार्क में आने-जाने के रास्ते में हुए अतिक्रमण के मामले में शहर के हालात पर गंभीर टिप्पणी की है. अदालत ने आवासन मंडल और नगर निगम के अधिकारियों की उपस्थिति में कहा कि उनकी विजिलेंस अधिकारियों से भ्रष्टाचार व्याप्त है. अदालत ने चंडीगढ से तुलना करते हुए कहा कि वहां छोटी से छोटी जगह में सुचारू पार्किंग व्यवस्था है, जबकि जयपुर में ऐसा एक बाजार नहीं है, जहां बेतरतीब पार्किंग और अतिक्रमण नहीं हो. इसके साथ ही अदालत ने मामले में चार सप्ताह बाद सुनवाई रखी है. जस्टिस अवनीश झिंगन और जस्टिस मनीष शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश रामगोपाल अटल की जनहित याचिका पर दिए.

सुनवाई के दौरान आवासन मंडल और नगर निगम ग्रेटर की आयुक्त अदालत में पेश हुई. अदालत के पूछने पर निगम आयुक्त ने कहा कि निगम की विजिलेंस टीम काम कर रही है. इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि विजिलेंस टीम में भारी करप्शन है. जब विजिलेंस टीम में कर्मचारी तैनात होता है, उस समय उसकी संपत्ति और वर्तमान में उसकी संपत्ति देख लें तो सारी जानकारी सामने आ जाएगी. अदालत ने कहा कि आधार कार्ड और बिजली का बिल लेकर कोई भी अतिक्रमी संपत्ति पर दावा करने लग जाता है. 

अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मेरे पास भी सरकारी आवास का बिजली का बिल है. ऐसे में मुझे भी आवास आवंटित कर दें, ताकि रिटायर होने के बाद उस में आराम से रह सकूं. अदालत ने कहा कि जयपुर शहर की ऐसी कोई रोड नहीं है, जहां अतिक्रमण नहीं हो. बडे-बडे शोरूम के बाहर पार्किंग नहीं है, बाद में पता चलता है कि शोरूम ने ही अतिक्रमण कर निर्माण कर लिया.

जनहित याचिका में अधिवक्ता देवेन्द्र भारद्वाज ने बताया कि मानसरोवर के स्वर्ण पथ पर स्थित पार्क के आने-जाने वाले रास्ते और पार्क व फ्लैट के बीच की जगह पर आवासन मंडल के पूर्व कर्मचारी ने कब्जा कर रखा है. इसके बाद उसने सिविल कोर्ट से स्टे भी ले लिया, जिसे बाद में अदालत से हटवाया गया. वहीं निगम की ओर से तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश कर बताया कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण है और अतिक्रमी को नोटिस जारी कर 26 मार्च तक कब्जा हटाने को कहा गया है.

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