Rajasthan : राजस्थान विधानसभा ( Rajasthan Assembly) में भजनलाल सरकार के मंत्री अविनाश गहलोत ने इंदिरा गांधी को आपकी दादी कहा. जिसके बाद कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा (Govind Singh Dotasara) ने मर्यादाओं को तोड़ते हुए, स्पीकर वासुदेव देवनानी को अपशब्द कहें, जिससे आहत स्पीकर ने पूरे सदन के सामने डोटासरा की विधायकी पर सवाल किया.
ना तो सत्ता पक्ष और ना ही विपक्ष इस मामले पर झुकने को तैयार है. मामला यहां तक पहुंच चुका है कि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की विधायकी पर संकट है. तो क्या डोटासरा पर कड़ी कार्रवाई होगी ? और उनकी सदन में उपस्थिति पर रोक लग सकती है ? पिछले कुछ मामले देखें तो, ये संभव है.
सदन में कई बार विधायकों को स्पीकर की बात नहीं मानने या फिर नियमों का पालन नहीं करने पर निलंबित या सस्पेंड किया जा चुका है. ये निलंबन या तो कुछ समय का होता है या फिर पूरे सत्र के दौरान सदन में आने की अनुमति नहीं दी जाती है. डोटासरा के केस में निलंबन होगा तो इसकी अवधि भी स्पीकर ही निर्धारित करेंगे.
जहां तक रही बात डोटासरा की विधायकी तो, क्या डोटासरा की विधायकी भी जा सकती है ? ये एक बड़ा सवाल है. प्रधान से विधायक और फिर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद तक का डोटासरा का राजनीतिक सफर शानदार रहा है. अपने बयानों से हमेशा ही चर्चा में रहने वाले डोटासरा की विधायकी पर सकंट सिर्फ इन हालात में हो सकता है.
पूरा मामला सदन की सदाचार समिति के सामने जाए, जिसके सदस्य डोटासरा की मेंबरशिप को खत्म करने की बात कहें. सदन में इस प्रस्ताव को रखा जाए और बहुमत से इसे पास कर दिया जाए. फिर गेंद राज्यपाल और फिर वहां से निर्वाचन आयोग के पास पहुंचेगी. फिर आयोग उस सीट को खाली घोषित कर दे, जिसकी संभावना कम ही है.
या फिर सदन की सदाचार समिति के सामने प्रदेश कांग्रेसध्यक्ष विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी से माफी मांग लें और मामला यहीं समाप्त हो जाए. लेकिन ऐसा होता भी नहीं दिख रहा है.
राजस्थान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि बार-बार मुझ पर सदन हाईजैक करने के आरोप लगाए जा रहे हैं. मैं एक बार राज्यपाल के अभिभाषण पर बोला हूं. मेरा स्थगन, मेरा सवाल या मेरी पर्ची भी नहीं है. हम हमारे नेता के साथ में खड़े हों, यह हमारा अधिकार बनता है. यह सब केवल इसलिए हो रहा है. क्योकि, एक दलित नेता प्रतिपक्ष सदन में नहीं बोल पाए.
डोटासरा ने कहा कि अगर हम हमारे नेता का मान–सम्मान नहीं रह सकता. तो सदन में जाना या नहीं जाना कोई मायने नहीं रखता. डोटासरा ने ये भी कहा कि नेता प्रतिपक्ष की मुख्यमंत्री से बात हुई है. लेकिन क्या समाधान निकाला ? इस पर मैं कुछ नहीं कह सकता.