Rajasthan News: राजस्थान के मेडिकल इंस्टीट्यूशन भगवान भरोसे चल रहे हैं. राजस्थान का मेडिकल डिपार्टमेंट मेडिकल इंस्टीट्यूशन में हो रही नियुक्तियां को लेकर लगातार विवादों के घेरे में है. पिछले साल RUHS में कार्यवाहक वीसी के पद पर नियुक्त किए गए डॉ. धनंजय अग्रवाल का मामला चर्चा में था.
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ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार ने पिछले 8 महीने से डॉ. अग्रवाल को क्यों वीसी बना रखा है, जबकि नियम के मुताबिक किसी भी विश्वविद्यालय में कार्यवाहक वीसी व्यवस्था के लिए अधिकतम 5 से 6 महीने के लिए ही बनाया जा सकता है.
वहीं RMC रजिस्ट्रार अवैध रूप से सरकारी अस्पताल में प्रैक्टिस कर चुके हैं. RMC रजिस्ट्रार डॉ. गिरधर गोयल की नियुक्ति का मामला इस समय चर्चा में है. डॉ. गिरधर गोयल करीब 7 साल तक प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल में अवैध रूप से सेवाएं दी हैं.
आश्चर्य की बात तो ये है कि राजस्थान में नए डॉक्टर्स के रजिस्ट्रेशन, पुराने डॉक्टर्स के रजिस्ट्रेशन के रिन्युअल सहित अन्य काम डॉ. गिरधर गोयल ही देख रहे हैं. दरअसल डॉ गिरधर गोयल का खुद का RMC में करवाया गया रजिस्ट्रेशन 27 अप्रैल 2016 को ही एक्सपायर हो चुका है. जिसे उन्होंने 6 फरवरी 2024 को रिन्युअल करवाया.
ऐसे में अब सवाल ये है कि 7 साल तक अवैध रूप से प्रेक्टिस क्यों कर रहे थे. डॉ गिरधर ने SMS ट्रोमा सेंटर में भी लंबे समय तक सेवाएं दी है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक बिना वैध लाइसेंस के काम करने वाला डॉ. झोलाछाप माना जाता है. RUHS के कार्यवाहक वाइस चांसलर डॉ. धनंजय अग्रवाल को भी कमेटी रिजेक्ट कर चुकी है.
राजस्थान में कोई भी डॉक्टर प्रैक्टिस तभी कर सकता है. जब उसका रजिस्ट्रेशन RMC में हो. चाहे वह MBBS का हो, PG का हो या फिर कोई सुपर स्पेशियलिटी का हो. स्वास्थ्य निदेशालय निदेशक डॉ. रवि प्रकाश शर्मा का कहना है कि मुझे अभी सरकार ने RMC चेयरमैन का कार्यभार नहीं सौंपा है.
डॉ. को प्रैक्टिस करने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है. अगर किसी डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन एक्सपायर होता है और वह उसे देरी से रिन्यू करवाता है, तो उसमें पेनल्टी का प्रावधान है.