Rajasthan News: राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा उनके संदर्भ में मीडिया में दिया गया बयान एकदम निरर्थक और संवैधानिक परम्पराओं व मर्यादाओं के विपरित है. उन्होंने कहा कि अच्छा होता यदि अशोक गहलोत अपने दल के सदस्यों को सदन की मर्यादाओं में रहने, परम्पराओं का पालन करने के साथ स्पीकर का सम्मान करने और स्पीकर पर अनर्गल टिप्पणी नहीं करने की नसीहत देते. देवनानी ने कहा कि उनके द्वारा प्रतिपक्ष को सदन में दिए गए धरने के दौरान अनेक बार समझाइश के प्रयास किए. नेता प्रतिपक्ष को अपने कक्ष में बुलाकर बातचीत की. प्रतिपक्ष के न समझने, अमर्यादित व्यवहार और उनकी हठधर्मिता के कारण ही प्रतिपक्ष के सदस्यों का उन्हें निलंबन करना पड़ा.
स्पीकर वासुदेव देवनानी ने कहा कि उन्होंने संवैधानिक पद पर रहते हुए सदैव बिना किसी पक्षपात के सदन में नियमों और मर्यादाओं का निर्वहन करते हुए सदन की परम्पराओं को आगे बढ़ाया है. प्रतिपक्ष को सदन में बोलने के ज्यादा मौके दिए हैं. प्रतिपक्ष को सदन में पूरा महत्व देते हुए हर मुद्दे पर चर्चा भी की है. दरअसल, स्पीकर जैसे संवैधानिक पद पर सदन के अंदर या सदन के बाहर टिप्पणी करना संवैधानिक परम्पराओं और मर्यादाओं के विपरीत माना जाता है.
देवनानी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत के द्वारा विधानसभा अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पद की कार्यशैली पर सवाल उठाया जाना भी सदन की परम्पराओं और मर्यादाओं के प्रतिकूल है. उन्होंने कहा कि सोलहवीं राजस्थान विधानसभा के तृतीय सत्र में आठ दिवस में सत्रह अनुदान मांगों पर हुई चर्चा में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों को 161 और इंडियन नेशनल कांग्रेस के विधायकों को 162 बार सदन में बोलने का अवसर दिया गया. विधानसभा में प्रतिपक्ष के सदस्यों को अधिक बोलने का मौका देना पहली बार ही हुआ है. वे प्रतिपक्ष को न केवल पूरे अवसर देते है बल्कि उनके हर अमर्यादित कदम पर भी बड़ा दिल दिखाते हुए बोलने के पूरे अवसर देते हैं.
देवनानी ने कहा कि कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ राजस्थान की विश्व स्तरीय सुविधाओं के शुभारंभ के मौके पर भी प्रतिपक्ष द्वारा उठाया गया सवाल निरर्थक था. शुभारंभ के मौके पर भी उनके द्वारा प्रतिपक्ष के नेताओं से बात की गई और क्लब में सुविधाओं को तैयार करवाने और निरीक्षण करने के हर मौके पर नेता प्रतिपक्ष को उन्होंने साथ रखा. देवनानी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का पद गरिमामय और दलगत राजनीति से ऊपर होता है. ऐसा वक्तव्य विधान सभा की गरिमा और परम्पराओं के विपरीत है.
स्पीकर वासुदेव देवनानी ने कहा कि राजस्थान विधान सभा का यह सदन लोकतंत्र का पवित्र स्थल है. इसकी गरिमा को बनाये रखने का दायित्व सता पक्ष और प्रतिपक्ष दोनों का होता है. उन्होंने अपने कार्यकाल की शुरुआत में सदन के सत्र के आरम्भ से पहले सर्वदलीय बैठक के बुलाए जाने की शुरुआत की. इस पहल की पृष्ठभूमि में भी सदन में श्रेष्ठ परम्पराओं के संचालन का रहा है.
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