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राजस्थान में भोलेनाथ का वो मंदिर जहां बाल गोपाल का हुआ मुंडन संस्कार, बने राजपूतों के कुलेदवता

Jaipur : राजस्थान की राजधानी जयपुर के आमेर का प्राचीन अंबिकेश्वर महादेव मंदिर सालों से भक्तों की आस्था का केंद्र है. माना जाता है कि अंबिकेश्वर महादेव मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में इस मंदिर की स्थापना की थी. जिसका उल्लेख भागवत पुराण में भी मिलता है.

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Rajasthan Rajputs deity Shiva temple Ambikeshwar Mahadev amer fort Mythological story
Rajasthan Rajputs deity Shiva temple Ambikeshwar Mahadev amer fort Mythological story
Zee Rajasthan Web Team|Updated: Aug 14, 2024, 01:16 PM IST
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Jaipur : राजस्थान की राजधानी जयपुर के आमेर का प्राचीन अंबिकेश्वर महादेव मंदिर सालों से भक्तों की आस्था का केंद्र है. माना जाता है कि अंबिकेश्वर महादेव मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में इस मंदिर की स्थापना की थी. जिसका उल्लेख भागवत पुराण में भी मिलता है.

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द्वापर युग में नंद बाबा और ग्वालों के साथ श्रीकृष्ण इस जगह आए थे और भगवान शिव की पूजा की. मान्यता है कि यहीं श्री कृष्ण का मुंडन संस्कार हुआ था. ये मंदिर अपनी भव्यता के साथ ऐतिहासिकता के चलते प्रसिद्ध है और यहां दूर दूर से भोले के भक्त आते हैं. ये मंदिर आमेर फोर्ट के पास सागर मार्ग पर स्थित है. इसी के नाम पर इस जगह को आम्बेर या आमेर नाम मिला.

ये शिव मंदिर 14 खंभों पर टिका है. बताया जाता है कि सैंकड़ों साल पहले काकिलदेव नाम के राजा थे. एक बार राजा ने देखा कि एक गाय सुनसान जगह पर दूध दे रही है. बार-बार गाय को ऐसा करते देख. राजा ने इस स्थान पर खुदाई करवाई जिससे ये शिवलिंग प्रकट हुआ. इसके बाद यहीं पर भव्य मंदिर बनवा दिया गया.

इस शिव मंदिर का भूतल करीब 22 फुट गहरा है, बारिश के समय यहां भूगर्भ का जल ऊपर तक आ जाता है और मूल शिवलिंग को जलमग्न कर देता है. बारिस समाप्त होने के बाद पानी वापस भूगर्भ में चला जाता है, जबकि ऊपर से डाला गया जल भूगर्भ में नहीं जाता है.

अम्बिकेश्वर महादेव कछवाह राजवंश के कुलदेवता कहे गये हैं यानि कि शेखावत, राजावत, नरुका, खंगारोत, कुम्भावत, क्ल्यानोत आदि कछवाह राजपूतों के कुलदेवता. ये मंदिर पांच हजार वर्ष पुराना है. ऐसा ही एक मंदिर है चित्तौड़गढ़ में जहां पर शनिदेव साक्षात विराजमान माने जाते हैं.जाट के खेत में मिले इस मंदिर की पूरी कहानी यहां पढ़ें

 

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