Rajasthan News: राजस्थान के सांचौर में रहने वाले पीराराम विश्नोई की कहानी न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह मानवता और प्रकृति प्रेम की मिसाल भी है. करीब 30 साल पहले भारतीय सेना की नौकरी छोड़ने वाले पीराराम विश्नोई ने एक ऐसी राह चुनी, जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह जाता है. उन्होंने अपना जीवन बेजुबान जंगली जानवरों के बचाव और देखभाल के लिए समर्पित कर दिया.
एक घटना जिसने बदल दी सोच
पीराराम विश्नोई जब सेना की नौकरी छोड़ अपने गांव देवड़ा लौटे, तो उन्होंने सांचौर में एक टायर पंक्चर की दुकान खोली. सांचौर और देवड़ा के बीच 40 किलोमीटर का कच्चा रास्ता था, जहां बड़ी संख्या में हिरण, बंदर, खरगोश और अन्य जंगली जानवर पाए जाते थे. एक दिन उन्होंने अपनी आंखों के सामने एक दिल दहला देने वाली घटना देखी. एक बाइक सवार की टक्कर से तीन बंदर घायल हो गए. इनमें से एक मादा बंदर की मौके पर ही मौत हो गई, लेकिन उसका नन्हा बच्चा अपनी मृत मां से लिपटा हुआ दूध पी रहा था.
इस दृश्य ने पीराराम को अंदर तक झकझोर दिया. उन्होंने न केवल उस बच्चे की देखभाल की, बल्कि यह ठान लिया कि वे ऐसे सभी घायल और असहाय जानवरों की मदद करेंगे. इसी सोच के साथ उन्होंने अपनी 25 बीघा जमीन पर एक रेस्क्यू सेंटर बनाया, जहां आज हजारों वन्यजीवों को नया जीवन मिल चुका है.
रेस्क्यू सेंटर में बेजुबानों का बसेरा
पीराराम विश्नोई ने अपनी जमीन पर वन्य जीवों के लिए विशेष शरणस्थली बनाई. यहां घायल हिरण, मोर, खरगोश, तोता, नीलगाय और कई अन्य पशु-पक्षी आते हैं. उनका इलाज किया जाता है और स्वस्थ होने के बाद उन्हें पुनः जंगल में छोड़ दिया जाता है. इस सेंटर में इस समय 300 से अधिक हिरण और अन्य वन्यजीव रह रहे हैं.
रेस्क्यू सेंटर में पशुओं के इलाज के लिए आवश्यक सभी संसाधन उपलब्ध हैं. दवाइयों से लेकर एंबुलेंस तक, हर जरूरी चीज यहां मौजूद है. पीराराम विश्नोई खुद अपनी जान जोखिम में डालकर घायल वन्यजीवों को बचाने के लिए जंगलों और सड़क किनारे दौड़ पड़ते हैं. उनकी इस मुहिम में स्थानीय लोग भी उनका साथ देते हैं.
सम्मान और पुरस्कारों से सजा सफर
पीराराम विश्नोई की इस अनोखी पहल को राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है. उन्होंने वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है, जिसके चलते उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है.
1. राजस्थान स्टेट वाइल्डलाइफ कन्जर्वेशन अवार्ड (2018)
2. नेशनल वाइल्डलाइफ कन्जर्वेशन अवार्ड (2019)
3. भारत का अर्थ हीरो अवार्ड (राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित)
4. अंतरराष्ट्रीय शाइनिंग वर्ल्ड कंपैशन अवार्ड (2020)
शाइनिंग वर्ल्ड कंपैशन अवार्ड अब तक भारत में केवल दो व्यक्तियों को मिला है – पहला मेनका गांधी को और दूसरा पीराराम विश्नोई को. यह उनकी सेवा और समर्पण का प्रमाण है.
प्रेरणा का स्रोत बनी उनकी जिद
पीराराम विश्नोई की कहानी एक संदेश देती है कि अगर इंसान ठान ले, तो कुछ भी असंभव नहीं. उन्होंने न सिर्फ वन्यजीवों को बचाने की पहल की, बल्कि समाज को भी जागरूक किया. उनकी इस मुहिम में उनकी पत्नी भी पूरा सहयोग देती हैं.
आज पीराराम विश्नोई का नाम वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक मिसाल बन चुका है. उनकी जिद ने हजारों बेजुबानों की जिंदगी बचाई है और समाज को प्रकृति के प्रति प्रेम और जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाया है. उनकी यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक प्रेरणा बनकर रहेगी.
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Reported By- किशोर रॉय