Jalore News: प्रदेश सरकार भले ही विकास व जन कल्याण की बडी बडी बातें कर रही है. लेकिन नारकीय जीवन जी रहे मानसिक विक्षिप्त लोगों की दयनीय हालत सरकारों व प्रशासनिक अमले की इन दावों की पोल खोल रही है. मानसिक विक्षिप्त लोगों के प्रति सरकार के उदासीन रवैये व मानवीय संवेदनहीनता के चलते ये बदनसीब लोग जानवरों से भी बदतर जीवन जी रहे हैं.
ऐसा ही मामला सायला उपखंड के तेजा की बेरी ग्राम पंचायत में सामने आया है. गांव से तीन किलोमीटर ढाणी में निवासी कर रहे सुमार खान ने 12 साल पहले गांव में ही नियो बानू से शादी की , शादी के ठीक 2 साल बाद ही पत्नी नियो बानू मानसिक बीमार हो गयी. ऐसे में पति सुमार ने 8 सालो तक इलाज के लिए राजस्थान सहित गुजरात के अलग अलग अस्पतालो में चक्कर लगाए लेकिन पत्नी की स्थिति में सुधार नहीं हो पाया.
पत्नी नियो बानू समय के साथ बीमारी ने गम्भीर जकड़ लिया. उधर पति सुमार की लगातार 8 साल तक इलाज में परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हो गया. ऐसे में वर्तमान में नियो बानू घर के पास कच्चे छपरे की खुली छत पर अकेली नारकीय जीवन जीने की मजबूरी में जी रही है.
हैरानी की बात तो यह है कि माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद जहां सरकारी अमला सड़क पर छोड़े गए मवेशियों के रहने के लिए गौशालाओं के निर्माण की योजना को आगे बढा रहा है , वहीं खुले आसमान तले जी रहे मानसिक विक्षिप्त नियो बानू के लिए ऐसी कोई योजना नहीं बन पा रही है. परिणाम स्वरूप दिमागी संतुलन खो चुकी ये महिला सर्दी , गर्मी हा या बारिश खुले आसमान तले नारकीय जीवन जीने को मजबूर है.
तेजा की बेरी निवासी सुमार खान के परिवार की 8 सालो तक इलाज करवाने के चलते अब उनके परिवार की माली हालत हो गयी है. परिवार के सुमार खान ने सरकार से गुहार लगाते हुए सरकार से इलाज करवाने की बात कह रहे है. उन्होंने बताया कि अब थक हार चुका हूँ. अगर सरकार इनका इलाज करवाने में आगे आए तो इस नारकीय जीवन से मेरी पत्नी बाहर निकल सकती है.
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