trendingNow/india/rajasthan/rajasthan12661581
Home >>Jalore

Jalore News: इतिहास की गवाही देता सराणा का अनोखा सोमनाथ मंदिर, जहां पूरी होती हैं मनोकामनाएं

Jalore News: सराणा स्थित सोमनाथ महादेव मंदिर सिर्फ धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि वीरता की गाथा का साक्षी भी है. राजा कान्हडदेव ने यहां खिलजी को परास्त किया था. अनोखी चौकोर शिवलिंग और जीवित समाधि मंदिर की विशिष्टता बढ़ाती हैं. महाशिवरात्रि पर यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है.

Advertisement
Jalore News
Jalore News
Zee Rajasthan Web Team|Updated: Feb 26, 2025, 01:23 PM IST
Share

Rajasthan News: जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर सराणा स्थित सोमनाथ महादेव मंदिर केवल धार्मिक आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक वीरता की गाथा का भी साक्षी है. यह मंदिर प्रदेशभर में अपनी अनूठी पहचान रखता है. यहां श्रद्धालु वर्षभर दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन महाशिवरात्रि और श्रावण मास में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है.

अनोखी शिवलिंग और ऐतिहासिक महत्व
मंदिर का गर्भगृह तीन फुट गहराई में स्थित है, जहां चौकोर आकार की अद्भुत शिवलिंग विराजमान है. यही नहीं, इस शिवलिंग में भगवान शिव के साथ पूरा शिव परिवार भी स्थापित है. यह शिवलिंग केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि इतिहास की गौरवशाली गाथा को भी समेटे हुए है.

शिवलिंग के दोनों ओर वीर राजपूत सेनापति रतना और हमीरा के दृश्य अंकित हैं, जो घोड़ों पर सवार हैं. इनके साथ भील योद्धा कान्हड़ और वैगढ़ के चित्र भी उकेरे गए हैं, जो हाथों में तीर लिए हुए हैं. ये चारों योद्धा वीर कान्हडदेव की सेना के प्रमुख योद्धा थे, जिन्होंने दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी को परास्त करने में अहम भूमिका निभाई थी.

कान्हडदेव और खिलजी की ऐतिहासिक लड़ाई
सन 1266 में दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने गुजरात के सोलंकी साम्राज्य को पराजित कर सोमनाथ महादेव मंदिर को लूटकर ध्वस्त कर दिया था. जब वह इस मंदिर से शिवलिंग को हटाकर दिल्ली ले जाने लगा, तो जालोर के राजा वीर कान्हडदेव ने अपनी सेना के साथ सराणा के रणक्षेत्र में खिलजी को परास्त कर दिया.

कहा जाता है कि खिलजी ने शिवलिंग को हाथी के पैरों में जंजीरों से बांधकर खींचने का प्रयास किया, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली. बाद में यह शिवलिंग सराणा गांव के जलस्त्रोत (कुएं) में डाल दी गई. आश्चर्यजनक रूप से, खिलजी की विशाल सेना और हाथी-घोड़े भी इस कुएं के जल स्तर को कम नहीं कर सके. आज भी इस कुएं के ऊपर जंजीरों के निशान मौजूद हैं, जो इस गौरवशाली इतिहास की गवाही देते हैं.

मंदिर की अनूठी विशेषताएं
1. मंदिर का द्वार पश्चिम दिशा में खुलता है, जो हिंदू धर्म के मंदिरों में दुर्लभ होता है.
2. सोमनाथ महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि पर चार आरतियां और विशेष श्रृंगार किया जाता है.
3. सोमवार के दिन तीन आरतियों का विशेष आयोजन होता है.
4. गुजरात से श्रद्धालु पदयात्रा कर सराणा पहुंचते हैं, क्योंकि यह मंदिर कई गांवों के कुलदेवता के रूप में प्रतिष्ठित है.

मंदिर का पुनर्निर्माण और महंत परंपरा
सोमनाथ महादेव मंदिर का पुनर्निर्माण ब्रह्मालीन महंत बालकानंदगिरि महाराज के सानिध्य में 1980 के दशक में किया गया था. इस मंदिर को तीन शिखरों वाला भव्य स्वरूप दिया गया, जो आज भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. वर्तमान में मंदिर की देखरेख महंत सोमगिरि महाराज कर रहे हैं.

हीरागिरी महाराज की जीवित समाधि का चमत्कार
मंदिर के ठीक सामने हीरागिरी महाराज की जीवित समाधि स्थित है, जो आज भी आस्था और चमत्कार का केंद्र बनी हुई है. कहा जाता है कि महाराज ने सराणा और बाला गांव में एक ही समय पर जीवित समाधि ली थी. आज भी शाम के समय समाधि स्थल पर दीपक जलाने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगती हैं.

सराणा गांव में राजपूत समुदाय के मण्डलावत और बालोत परिवारों के ऐतिहासिक ठिकाने स्थित हैं. यहां के निवासी मानते हैं कि सोमनाथ महादेव मंदिर में मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है. मंदिर के पुजारी पं. रमेशचंद्र दवे का कहना है कि यह मंदिर केवल आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि शौर्य की एक अमिट कहानी भी समेटे हुए है.

यह मंदिर न केवल गुजरात के सोमनाथ मंदिर से जुड़ा हुआ है, बल्कि वीर कान्हडदेव की शूरवीरता और बलिदान की गाथा भी सुनाता है. यही कारण है कि श्रावण मास और महाशिवरात्रि पर हजारों श्रद्धालु यहां आकर भगवान शिव के दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

ये भी पढ़ें- Jalore News: सांचौर पुलिस का नकली व मिलावटी घी बेचने वालों पर चला चाबुक

राजस्थान की ताज़ा ख़बरों के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहाँ पढ़ें Rajasthan News और पाएं Latest Rajasthan News हर पल की जानकारी. राजस्थान की हर खबर सबसे पहले 

Read More
{}{}