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Jhalawar News: एक शहर ऐसा भी, जहां पूरे वर्ष जमा रहता है रावण का परिवार, बेहद खास है पीछे की मान्यता

Jhalawar News: विजयदशमी के अवसर पर देश व प्रदेश के हर शहर और कस्बों में रावण का पुतला बनाने व दहन करने का चलन तो आम है, लेकिन क्या आपने सुना है कि राजस्थान के एक शहर में रावण दहन स्थल पर रावण का पूरा कुनबा मौजूद है और यह केवल दशहरे ही नहीं, बल्कि पूरे वर्ष भर खड़ा रहता है.

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Jhalawar News: एक शहर ऐसा भी, जहां पूरे वर्ष जमा रहता है रावण का परिवार, बेहद खास है पीछे की मान्यता
Zee Rajasthan Web Team|Updated: Oct 11, 2024, 01:04 PM IST
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Jhalawar News: विजयदशमी के अवसर पर देश व प्रदेश के हर शहर और कस्बों में रावण का पुतला बनाने व दहन करने का चलन तो आम है, लेकिन क्या आपने सुना है कि राजस्थान के एक शहर में रावण दहन स्थल पर रावण का पूरा कुनबा मौजूद है और यह केवल दशहरे ही नहीं, बल्कि पूरे वर्ष भर खड़ा रहता है. जी हां हम बात कर रहे हैं झालरापाटन शहर की, जहां दशहरा मैदान में रावण का पूरा परिवार ही स्थाई तौर पर जमा हुआ है. 
 
दशहरा महोत्सव में रावण का पुतला तो दहन के लिए हर शहर और गांव में बनाया जाता है, लेकिन झालावाड़ जिले के झालरापाटन शहर में रावण दहन स्थल पर रावण का पूरा कुनबा ही मौजूद है. जी हां, रावण का पूरा परिवार ही यहां मौजूद है और यह सब है वर्षों पुरानी रियासतकालीन परंपरा का हिस्सा. यहां रावण, मन्दोदरी, विभीषण सोयी मुद्रा में कुंभकरण, मेघनाथ और रावण के सेवक द्वारपाल यानी पूरा का पूरा रावण दरबार ही यहां वर्ष भर जमा होता है. 
 
रावण परिवार के इन पुतलों का निर्माण यहां रियासत काल में मिट्टी से किया जाता था. अब नगर पालिका ने इन्हें सीमेंट की मजबूती दे दी है और आकर्षक रंग रोगन करवा दिया है. स्थानीय नागरिकों ने बताया कि रावण दरबार और उसके परिवार के पुतले झालावाड़ के तत्कालीन रियासत के महाराजा ने ही बनवाये थे. उस समय कागज के पुतलों का दहन नहीं किया जाता था. तब मिट्टी के पुतले से बने रावण की नाभि में रंग से भरा एक मटका रखा जाता था, जिस पर बाण चलाकर रावण वध की परंपरा निभाई जाती थी. 
 
देश के हर शहर गांव कस्बों में दशहरे के दिन रावण के पुतलों का दहन हो जाता है, लेकिन झालरापाटन के मेला मैदान में रावण का यह पूरा परिवार साल भर ऐसे ही स्थाई रूप से खड़ा रहकर लोगों को बुराई से दूर रहने की प्रेरणा देता है. इन पुतलों के पास ही कागज के दूसरे पुतले बनाकर दशहरे के दिन दहन किए जाते हैं, लेकिन इन स्थाई पुतलों को इसी प्रकार बरसों से सुरक्षित रखा गया है. पूरे वर्ष कुछ लोग यहां मन्नत मांगने भी आते हैं. वहीं, दूसरी ओर अपने बच्चों को बुरी नजर लगने पर भी यहां लाया जाता है. 
 
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