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Jodhpur News:मुस्लिम विवाह के लिए निकाहनामा को लेकर हाईकोर्ट ने दिए निर्देश, अब हिंदी या अंग्रेजी में भी जारी होगा निकाहनामा

जोधपुर राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस फरजंद अली ने मुस्लिम विधि के अनुसार होने वाले विवाह में उर्दू भाषा में जारी निकाहनामा को समझने में आसान बनाने के लिए उसे द्विभाषी यानी हिन्दी अथवा अंग्रेजी में जारी करने के दिशा-निर्देश के लिए राज्य सरकार को विचार करने को कहा है.

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Jodhpur News:मुस्लिम विवाह के लिए निकाहनामा को लेकर हाईकोर्ट ने दिए निर्देश, अब हिंदी या अंग्रेजी में भी जारी होगा निकाहनामा
Zee Rajasthan Web Team|Updated: Dec 01, 2024, 12:25 PM IST
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Jodhpur News: जोधपुर राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस फरजंद अली ने मुस्लिम विधि के अनुसार होने वाले विवाह में उर्दू भाषा में जारी निकाहनामा को समझने में आसान बनाने के लिए उसे द्विभाषी यानी हिन्दी अथवा अंग्रेजी में जारी करने के दिशा-निर्देश के लिए राज्य सरकार को विचार करने को कहा है. सुनवाई के दौरान राज्य के गृह विभाग की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता बी.एल.भाटी ने कोर्ट आश्वस्त किया है. 
 
उन्होने निकाहानाम का प्रमाण-पत्र द्विभाषी में जारी करने के सम्बन्ध में दिशा-निर्देश/परिपत्र को लेकर उच्च स्तर पर विचार-विमर्श करने और जिला कलक्टर कार्यालय में निकाह की रस्म अदा करने के लिए पात्र काजी आदि के नाम दर्ज करते हुए एक रजिस्टर रखने के लिए जल्द होने का विश्वास दिलाया है. मामले में याचिकाकर्ता पति की ओर से एम.ए. सिद्दीकी ने पैरवी की. कोर्ट ने इस मामले को दस दिसम्बर को सुनवाई के लिए रखा है. पति-पत्नी के बीच एक आपराधिक प्रकरण की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि, विवाह एक महत्वपूर्ण संस्कार है और इसे पुरुष और महिला के बीच सहवास का संकेत माना जाता है. जो नागरिक समाज में स्वीकार्य है और कानून की दृष्टि में वैध है. 
 
निकाह मुस्लिम कानून के अनुष्ठानों के अनुसार एक सामुदायिक सभा में निकाह समारोह करने का ज्ञान रखने वाले व्यक्ति द्वारा किया जाता है. इस तरह के पवित्र सम्बन्ध को एक ऐसे दस्तावेज द्वारा मान्यता दी जानी चाहिए, जो सुस्पष्ट और पारदर्शी हो. निकाहनामा को विवाह के तथ्य की मौखिक दलील की पुष्टि में सबूत के रूप में लिया जा सकता है, लेकिन जब प्रमाण-पत्र की सामग्री सरकारी संस्थान, सार्वजनिक संस्थान, निजी संस्थान और कई अन्य विभागों आदि के कर्मचारियों को समझ में नहीं आती है, तो यह समस्या पैदा करता है और एक उलझन भरी स्थिति लाता है और इसलिए यह जटिलताएं भी बढ़ा सकता है. 
 
 
इसलिए यह न्यायालय महसूस करता है कि उपरोक्त स्थिति को विनियमित करने की आवश्यकता है. इस समय, यह विचार किया जा रहा है कि निकाहनामा जारी करने वाले व्यक्तियों को ऐसी भाषा में प्रमाण-पत्र जारी नहीं करना चाहिए, जो समाज में व्यापक रूप से ज्ञात न हो, विशेषकर लोक सेवकों और न्यायालय के अधिकारियों को. न्यायालय का यह दृष्टिकोण है कि प्रत्येक शहर के जिला मजिस्ट्रेट/जिला कलेक्टर को उन व्यक्तियों का रिकॉर्ड रखना चाहिए, जो निकाहनामा कर सकते हैं और उन्हें एक अलग फाइल में सूचीबद्ध किया जाना चाहिए. केवल वे ही व्यक्ति निकाह की रस्म अदा करने के पात्र होंगे, हर कोई नहीं. यदि निकाहनामा के मुद्रित प्रोफार्मा में हिन्दी या अंग्रेजी भाषा है तो इससे जटिलताएं हल हो सकती हैं.
 
 
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