Rajasthan News: जोधपुर जहां एक तरफ गगनचुंबी इमारतें सभी जगह आम बात है, वहीं जोधपुर से 30 किलोमीटर दूर एक अनोखा गांव है, जहां पर एक मंजिल से ऊपर एक भी घर नहीं है. इसके साथ ही लोक मान्यता के चलते गांव में आज से 200 साल पहले संत के कहे वचनों का पालन आज भी ग्रामीण कर रहे हैं. गांव में आज भी ग्रामीण दो मंजिल का मकान नहीं बनाते हैं. साथ ही ऐसे कई समाज और जाति के लोग हैं, जिन्हें इस गांव में रहने की अनुमति नहीं है.
आधुनिक दौर और विज्ञान के समय में आज भी एक गांव ऐसा है, जहां विज्ञान पर आस्था भारी है. ये कहानी है जोधपुर से करीब 35 किलोमीटर दूर जोधपुर बाड़मेर हाईवे के नजदीक डोली गांव की, जहां गांव में रहने वाले लोग आज भी दो मंजिल का मकान नहीं बनाते हैं, ना ही ज्वेलरी का काम करने वाले ज्वेलर्स रात के समय इस गांव में रुकते हैं. इतना ही नहीं इस गांव में कच्चा तेल निकालने वाले तेल की कोई घाणी भी नहीं लगती है. यह कहानी करीब 200 साल पुरानी है, जिसे लोग आज भी उसी आस्था के साथ निभा रहे हैं.
आज से 200 साल पहले इस गांव में हरिराम बैरागी महाराज तपस्या किया करते थे. उन्होंने अपनी तपस्या स्थल के समय एक सूखी लकड़ी की डंडी को लगाया था जो खेजड़ी के वृक्ष के तौर पर आज भी गांव में मौजूद है. राजा महाराजाओं के समय कविराज मुरारी लाल जी चारण जो की यहाँ के राजा के द्वारा ख्याति प्राप्त थे. उन्हें जोधपुर राजा द्वारा 12 गांव दिए हुए थे, जिसमें डॉली गांव भी शामिल था. वही डॉली गांव में हरिराम जी महाराज की तपस्या करते थे. कवि मुरारी लाल ने कहा कि करणी माता (जिसका मूल मंदिर देश्नोक में है ) को मानते हैं और माता का मंदिर यहां निर्माण करवाना चाहते हैं, लेकिन हरिराम जी महाराज ने मंदिर बनाने से मना किया. उन्होंने कहा कि मैंने देवी को त्याग रखा है. महाराज तीर्थ यात्रा के भ्रमण पर निकल गए. पीछे से कविराज ने करणी माता का मंदिर बना दिया और मूर्ति का प्रतिष्ठान कर दिया.
ऐसी किवदंती है और लोग बताते है कि जब महाराज वापस आए और उन्होंने पूछा कि आपने यह मंदिर क्यों बनाया, तो उन्होंने कहा कि मेरी इष्ट देवी है उन्हें रोज मीठा प्रसाद चढ़ाऊंगा. महाराज को गुस्सा आया और उन्होंने कहा कि आपके पीछे कोई पानी देने वाला भी नहीं रहेगा. महाराज की फटकार के बाद कविराज के घर पर कभी किलकारी नहीं गुंजी और उनके वंश का अंत हो गया. 12 गांव की जागीदार को कोई संभालने वाला आज तक ना मिला. आज सभी हवेलियां सरकार के अधीन है. महाराज के वचन के बाद से ही ग्रामीणों में दहशत का माहौल हो गया और तब से लेकर आज तक महाराज के वचन अनुसार ही ग्रामीण उसका पालन कर रहे है. इसलिए आज भी डॉली गांव में एक मंजिला मकान ही बने हुए है. ग्रामीणों ने बताया कि आज भी हम गांव में परंपराओं का पालन कर रहे है. महाराज के वचन के अनुसार ही एक मंजिला मकान में ही रहते है.
रिपोर्टर- राकेश कुमार भारद्वाज
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