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Rajasthan- CAA किसी धर्म के खिलाफ नहीं, नागरिक संहिता लागू होने पर बोले बालमुकुंद आचार्य

Rajasthan- सिटीजन अमेंडमेंट एक्ट (सीएए) का नोटिफिकेशन जारी होने पर सीएम भजनलाल शर्मा ने पीएम नरेंद्र मोदी और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह का धन्यवाद जताया है. साथ ही  कहा कि पीएम ने इस और सराहनीय कदम है. 

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Rajasthan- CAA किसी धर्म के खिलाफ नहीं, नागरिक संहिता लागू होने पर बोले बालमुकुंद आचार्य
Kashiram Choudhary|Updated: Mar 11, 2024, 11:01 PM IST
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Rajasthan- सिटीजन अमेंडमेंट एक्ट (सीएए) का नोटिफिकेशन जारी होने पर सीएम भजनलाल शर्मा ने पीएम नरेंद्र मोदी और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह का धन्यवाद जताया है. अयोध्या से लौटने के बाद एयरपोर्ट पर मीडिया से CM भजनलाल शर्मा ने कहा कि, लंबे समय से मांग चल रही थी, जो हमारे भाई किसी भी कारण से आजादी के बाद पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश में थे, वहां से प्रताड़ित होकर आए थे. चाहे वह हिंदू हो, सिख, जैन या इसाई हो, इनको भारत की नागरिकता भी मिलेगी और सारी सुविधा भी मिलेगी.   विधायक बालमुकुंदाचार्य  ने भी इस विषय पर अपने प्रतिक्रिय देते हुए कहा कि, इस कानून के लागू होने से रोहिंग्या और बांग्लादेशी का आना बंद होगा. यह कानून किसी भी तरह से भारत में रह रहे मुसलमानों के खिलाफ नहीं है.

 

बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा
वहीं एयरपोर्ट पर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि सीएए किसी धर्म के खिलाफ नहीं है. पिछले 5 सालों में देश में 566 मुस्लिम भाइयों को भी नागरिकता दी गई है. सीएए से अब उन सब लोगों को नागरिकता मिल सकेगी, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक हैं, और वहां से प्रताड़ित होकर भारत आ गए थे.

विधायक बालमुकुंदाचार्य  ने कहा
 सीपी जोशी ने कहा कि यह संयोग है कि हम रामलला के दर्शन करके लौटे और नागरिकता संशोधन कानून लागू हो गया. 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता हुआ था. जिसमें यह तय हुआ था कि पाकिस्तान, बांगलादेश और अफगानिस्तान में अगर किसी अल्पसंख्यक पर कोई अत्याचार होता है, उसे प्रताड़ित किया जाता है और वह भारत आता है तो उसे भारत को नागरिकता देनी होगी. लेकिन यूपीए सरकार ने इन लोगों को नागरिकता नहीं दी. 

पहले नागरिकता के लिए भारत में 11 साल रहना जरूरी थी. लेकिन सीएए के बाद अब उसे घटाकर 6 साल कर दिया गया हैं. अब इन तीनों देशों से प्रताड़ित होकर भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी.

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