trendingNow/india/rajasthan/rajasthan12219915
Home >>nagaur

Deedwana News: अधिकारी झाड़ रहे हैं पाला, अस्पताल से बिना उपचार ही लौट रहे मरीज

राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए सरकार द्वारा बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. सरकारी अस्पतालों की स्थितियां सरकारी उदासीनता से ही बदहाल हो रखी है. हालत यह है कि सरकारी अस्पतालों में ना तो डॉक्टर है और ना ही बाकी स्टाफ. ऐसे में मरीजों को बिना उपचार के ही वापस बैरंग लौटना पड़ता है.

Advertisement
Deedwana News: अधिकारी झाड़ रहे हैं पाला, अस्पताल से बिना उपचार ही लौट रहे मरीज
Zee Rajasthan Web Team|Updated: Apr 24, 2024, 11:15 PM IST
Share

Deedwana News: राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए सरकार द्वारा बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. सरकारी अस्पतालों की स्थितियां सरकारी उदासीनता से ही बदहाल हो रखी है.

हालत यह है कि सरकारी अस्पतालों में ना तो डॉक्टर है और ना ही बाकी स्टाफ. ऐसे में मरीजों को बिना उपचार के ही वापस बैरंग लौटना पड़ता है। इसी मुद्दे पर देखिए डीडवाना से हमारी यह खास रिपोर्ट.

तस्वीरों में जो अस्पताल आपको नजर आ रहा है, वह डीडवाना का शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है. लगभग 6 साल पहले ही इस अस्पताल का निर्माण हुआ था. उद्देश्य था कि शहरी क्षेत्र की कच्ची बस्ती और पिछड़े इलाकों के लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाई जा सके, लेकिन हालात यह है कि पिछले ढाई साल से इस अस्पताल में डॉक्टर तक नहीं है, ना ही यहां कोई नर्सिंग स्टाफ है, और ना ही लैब तकनीशियन व फार्मासिस्ट है. इस अस्पताल में कुल 13 स्टाफ के पद है, जिनमें से 11 पद खाली पड़े है। अस्पताल में डॉक्टर का एक ही पद है, वो भी अक्टूबर 2021 के बाद से ही खाली पड़ा है.

हालांकि आसपास के क्षेत्रों के मरीज उपचार की आस में रोजाना अस्पताल आते हैं, लेकिन जब उन्हें पता लगता है कि अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं है, तो उन्हें बिना उपचार के ही वापस बैरंग लौटना पड़ता है. अस्पताल में डॉक्टर और चिकित्साकर्मियों के पद खाली होने से अब यह अस्पताल केवल शो पीस बनकर रह गया है। मरीजों को मजबूरन बड़े अस्पतालों और निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है.

अस्पताल में स्टाफ के नाम पर मात्र दो कर्मचारी ही कार्यरत है, वह भी केवल आशा सुपरवाइजर है। ऐसे में इस अस्पताल में जो मरीज आते हैं, उन्हें यही लोग दवाइयां दे रहे हैं. जबकि उन्हें नियमानुसार डॉक्टर की लिखी पर्ची के अनुसार ही मरीजों को दवाइयां दी जा सकती है.

इस बारे में जब हमने ब्लॉक सीएमएचओ से बात की तो उन्होंने भी स्टाफ की कमी का हालात देते हुए अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया. उनका कहना था कि चिकित्सा विभाग में डॉक्टर के साथ ही विभिन्न पद खाली पड़े हैं. इससे मरीज को दिक्कत हो रही है. शहरी सिटी डिस्पेंसरी में रिक्त पद के बारे में हमने कई बार विभाग को पत्र लिखकर अवगत करवाया है, लेकिन अभी तक किसी डॉक्टर की नियुक्ति नहीं की गई है.

Read More
{}{}