Rajasthan News: उपखंड मुख्यालय स्थित महात्मा गांधी अंग्रेजी विद्यालय कभी भी बड़े हादसे का शिकार हो सकता है, लेकिन प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है. करीब आठ महीने पहले इस विद्यालय के तीन कक्षाओं की छत और बरामदा अचानक गिर गए थे, जिससे वहां मौजूद छात्रों व शिक्षकों की जान पर बन आई थी. इस भयावह घटना के आठ महीने बीतने के बाद भी मलबा जस का तस पड़ा हुआ है, और आसपास के कमरों में दरारें पड़ चुकी हैं. हर पल यहां पढ़ने वाले 500 से अधिक छात्र-छात्राओं और शिक्षकों की जान पर खतरा मंडरा रहा है.
खौफ के साए में पढ़ाई-
विद्यालय के प्रधानाचार्य राजीव सेनी के अनुसार, इस मामले को कई बार जिला शिक्षा अधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के संज्ञान में लाया गया है. टेंडर भी जारी किए गए, लेकिन उच्च दरों के कारण ठेकेदार रुचि नहीं दिखा रहे हैं. इस वजह से न तो मलबा हटाया गया है और न ही जर्जर भवन की मरम्मत हुई है. विद्यार्थी हर समय डर के माहौल में पढ़ाई कर रहे हैं, और यहां तक कि मिड-डे मील के लिए भी उन्हें खतरे के बीच से गुजरना पड़ रहा है.
कस्तूरबा छात्रावास भी खतरे में-
विद्यालय के महज 20 मीटर की दूरी पर स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय छात्रावास में 200 से अधिक छात्राएं निवास कर रही हैं. विद्यालय भवन के जर्जर होने से छात्रावास की छात्राओं पर भी खतरा बना हुआ है. एक और हादसा होने की स्थिति में बड़ा जनहानि हो सकती है.
प्रशासन की अनदेखी-
विद्यालय प्रबंधन और स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन को कई बार अवगत कराया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. अगर जल्द ही इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह विद्यालय कभी भी किसी बड़े हादसे का शिकार हो सकता है. क्या प्रशासन किसी अनहोनी का इंतजार कर रहा है?
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Reported By- सुरेश पवार