Gangaur 2025: राजस्थान में गणगौर का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. गणगौर पूजा राजस्थानियों के लिए साल की सबसे बड़ी पूजा में से एक है.
गणगौर का अर्थ शिव और गौरा जी से होता है (गण- शिव, गौर-पार्वती). यह व्रत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है. इस व्रत को कुंवारी कन्याएं और शादीशुदा महिलाएं दोनों पूरी श्रद्धा से रखती हैं.
गणगौर का व्रत भगवान शिव और पार्वती जी को समर्पित है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से मनचाहा वर मिलता है. वहीं शादीशुदा महिलाएं पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थय की कामना करती हैं.
16 दिन तक मनाए जाने वाले इस पर्व का मुख्य व्रत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को 31 मार्च 2025 को किया जाएगा. मुहूर्त सुबह 9 बजकर 11 मिनट से शुरू हो कर चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी 1 अप्रैल को सबुह 5 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगा. लेकिन त्योहार की शुरूआत 15 मार्च से हो चुकी है.
गणगौर व्रत के दिन सुबह जल्दी नहाकर साफ कपड़े पहनें. इसके बाद गणगौर यानी भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी की मूर्ति बनाएं. फिर उन्हें वस्त्रों और गौरा जी को सुहाग के सामन से सजाएं. विधिवत पूजा करें. उनके सामने धूप और दीप जलाएं. उन्हें फल, मिठाई और चूरमा का भोग अर्पित करें. फिर एक थाली में जल लें इसमें चांदी का सिक्का, पान, सुपारी, दूध, दही, गंगाजल, हल्दी, कुमकुम और दूर्वा डालकर हाथ में दूर्वा दल लेकर भगवान शिव और माता पार्वती को जल का छिड़काव करें. इसके बाद खुद पर सुहाग जल छिड़कें. गणगौर व्रत की कथा पढ़कर आरती के साथ पूजा का समापन करें.
जयपुर में, गणगौर माता की सवारी बहुत प्रसिद्ध है, जिसमें शाही लवाजमे के साथ गणगौर की सवारी निकाली जाती है. इसे गणगौर की शाही सवारी कहते है, जो त्रिपोलिया गेट से गणगौरी बाजार तक निकाली जाती है. इसमें हाथी, घोड़े और ऊंट जैसे शाही लवाजमे होते हैं.