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Reality Check: जयपुर में हिजाब विवाद के बीच 2100 लड़कियां नहीं पहुंची स्कूल, जानें क्या है नमाज...

राजधानी जयपुर के सुभाष चौक थाना इलाके में स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय गंगापोल में हिजाब को लेकर उपजे विवाद और राजनेताओं द्वारा लगाए जा रहे आरोप–प्रत्यारोप की हकीकत जानने ज़ी मीडिया की टीम स्कूल पहुंची.

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Reality Check: जयपुर में हिजाब विवाद के बीच 2100 लड़कियां नहीं पहुंची स्कूल, जानें क्या है नमाज...
Zee Rajasthan Web Team|Updated: Jan 30, 2024, 08:09 PM IST
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Jaipur School Hijab Balmukund Viwad: राजधानी जयपुर के सुभाष चौक थाना इलाके में स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय गंगापोल में हिजाब को लेकर उपजे विवाद और राजनेताओं द्वारा लगाए जा रहे आरोप–प्रत्यारोप की हकीकत जानने ज़ी मीडिया की टीम स्कूल पहुंची. 2 दिन से स्कूल में जिस तरह का माहौल चल रहा है उससे स्कूल में पढ़ने वाली बालिकाएं काफी भयभीत नजर आईं, वहीं शिक्षक भी काफी परेशान नजर आए. हिजाब और अन्य चीजों को लेकर 2 दिन से राजनीति की जा रही है और कई तरह के आरोप स्कूल प्रशासन पर लगाए जा रहे हैं. स्कूल प्रशासन पर यह आरोप लगाए गए की विद्यालय में प्रार्थना नहीं होती है ना ही सरस्वती मां की पूजा होती है. हिजाब नहीं पहन कर आने वाली बालिकाओं को परेशान किया जाता है. इन तमाम तथ्यों की पड़ताल करने के लिए जी मीडिया की टीम ने स्कूल पहुंचकर बालिकाओं से बातचीत की तो यह हकीकत सामने आई.

जी मीडिया की टीम राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय गंगापोल पहुंची और स्कूल स्टाफ से संपर्क कर उनपर लगाए जा रहे आरोपों को लेकर बातचीत करनी चाही. मगर कोई भी कैमरे के सामने आकर कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं हुआ लेकिन सभी काफी परेशान नजर आए. स्कूल स्टाफ ने बताया कि ऊपर से अधिकारियों के निर्देश है कि वह किसी भी तरह का बयान नहीं दें लेकिन जब उनसे ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि स्कूल में 2200 से अधिक बच्चियों पढ़ रही हैं. आज तक कभी भी स्कूल में ऐसा माहौल नहीं हुआ जो पिछले दो दिन से है. डर के मारे आज केवल 100 ही बच्चियों स्कूल में पढ़ने के लिए आई हैं. जब स्कूल में मौजूद दो बच्चियों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि वह कई सालों से स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं और स्कूल में किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं किया जाता. स्कूल में सुबह रोज प्रार्थना होती है और सरस्वती वंदना के साथ दिन की शुरुआत होती है. हिंदू–मुस्लिम को लेकर किसी भी तरह का कोई भेदभाव ना टीचर्स की ओर से किया जाता है और ना ही स्कूल में पढ़ने वाली बालिकाओं में इस तरह की कोई मनोवृति है. कुछ बच्चियों हिजाब पहनकर पढ़ने आती हैं तो कुछ नहीं भी आता लेकिन किसी को भी हिजाब पहनने के लिए या ना पहनने के लिए कोई फोर्स नहीं किया जाता.

 जी मीडिया की टीम जब स्कूल कार्यालय में पहुंची तो देखा कि सरस्वती मां की मूर्ति पर एक मुस्लिम महिला टीचर पोशाक पहना रही थी और साजसजा कर रही थी. जब इस बारे में जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि रोजाना सुबह प्रार्थना के वक्त सरस्वती माता की मूर्ति को स्कूल प्रांगण में ले जाया जाता है. सरस्वती मां की मूर्ति के सामने ही विद्यालय में पढ़ने वाली सभी बच्चियों सरस्वती वंदना करती हैं. यहां तक की सरस्वती मां की पोशाक सिलने और पोशाक धोने से लेकर अन्य तमाम काम भी मुस्लिम छात्राओं के द्वारा ही किया जाता है. स्कूल के प्रत्येक कक्ष में सरस्वती माता की फोटो भी लगी हुई है. स्कूल में बालिकाओं को बेहतर शिक्षा देने के अलावा और किसी भी तरह की गतिविधियों का संचालन नहीं किया जाता. महज ओछी राजनीति के लिए स्कूल की छवि को खराब किया जा रहा है.

शिक्षा के मंदिर को लेकर की जा रही राजनीति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और 2200 छात्राओं के भविष्य पर भी एक प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है. कुछ राजनीतिक लोगों द्वारा बालिकाओं को मोहरा बनाकर जिस तरह का माहौल बनाया जा रहा है वह बेहद चिंताजनक है. देखना होगा कि इस पूरे मामले पर शिक्षा विभाग के अधिकारी और सरकार की ओर से क्या कदम उठाए जाते हैं.

Reporter - Vinay Pant

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