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Rajasthan News : राजस्थान में BJP के खराब प्रदर्शन के बाद, क्या इन नेताओं के सामने खड़ा है राजनीतिक संकट?

Rajasthan Politics : राजस्थान में BJP के खराब प्रदर्शन के बाद क्या प्रदेश के इन नेताओं के सामने खड़ा है संकट राजनीतिक खड़ा हो गया है?  

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After the poor performance of BJP in Rajasthan are these leaders facing political crisis
After the poor performance of BJP in Rajasthan are these leaders facing political crisis
Shiv Govind Mishra|Updated: Jun 12, 2024, 01:44 PM IST
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Rajasthan News : लोकसभा चुनाव में राजस्थान में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के बाद प्रमुख नेताओं का राजनीतिक भविष्य संकट में आ सकता है. पार्टी आलाकमान ने इन नेताओं के सुझाव पर टिकट बांटे थे, लेकिन परिणाम अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं रहे. चूरू से राहुल कस्वां का टिकट काटा गया और उनकी जगह देवेंद्र झाझड़िया को टिकट दिया गया, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसी प्रकार, श्रीगंगानगर से निहाल चंद मेघवाल का टिकट काटा गया और कांग्रेस के कुलदीप इंदौर यहां से चुनाव जीतने में सफल रहे.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि विधानसभा और अब लोकसभा में खराब प्रदर्शन के बाद राजेंद्र सिंह राठौड़ का राजनीतिक करियर खतरे में है. राठौड़ खुद विधानसभा चुनाव हार गए थे और चूरू में बीजेपी भी पराजित हो गई. बीजेपी के बागी सांसद राहुल कस्वां टिकट काटने के लिए सीधे तौर पर राजेंद्र राठौड़ को दोषी मान रहे हैं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ये नेता अब राजनीतिक संकट के दौर में हैं और उन्हें उभरने में समय लग सकता है.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राजस्थान बीजेपी के प्रमुख नेता राजेंद्र सिंह राठौड़, सतीश पूनिया, और वसुंधरा राजे सिंधिया के राजनीतिक भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. पार्टी में उनकी भूमिकाओं को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मौनता ने बीजेपी नेताओं की चिंता बढ़ा दी है. पहले यह माना जा रहा था कि वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह को मोदी कैबिनेट में शामिल किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. दुष्यंत सिंह ने झालावाड़ से लगातार पांचवी बार जीत दर्ज की है.

फिलहाल वसुंधरा राजे पूरी तरह से मौन हैं. यह माना जा रहा है कि वसुंधरा राजे राजस्थान को नहीं छोड़ना चाहती हैं और उन्होंने केंद्र में जाने से मना कर दिया है. इसी तरह, राजस्थान बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. पार्टी आलाकमान ने पूनिया को हरियाणा का प्रभारी बनाया, लेकिन वहां भी बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा है.

हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और ऐसे में सतीश पूनिया की असली परीक्षा होगी. हालांकि, हरियाणा की राज्यसभा सीट के चुनाव भी होने हैं और संख्यात्मक दृष्टिकोण से बीजेपी की स्थिति मजबूत नहीं है. अगर कांग्रेस राज्यसभा की सीट जीत जाती है, तो यह विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए बड़ा झटका होगा.

बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर लड़े गए थे, इसलिए हार के लिए राजेंद्र सिंह राठौड़ या सतीश पूनिया को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्थान बीजेपी में बढ़ती गुटबाजी के कारण इस बार केंद्रीय नेतृत्व ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा. पिछले चार चुनावों से भारतीय जनता पार्टी का राजस्थान में चेहरा रहीं वसुंधरा राजे को इस बार तवज्जो नहीं मिली. अब देखना होगा कि इन नेताओं की पार्टी में क्या भूमिका होगी.

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