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Vasundhara Raje : वसुंधरा राजे के तीखे तेवर, बोलीं - जिसने चलना सिखाया, उसी अंगुली को काट रहे लोग, जानें किस पर साधा निशाना?

Rajasthan Politics, Rajasthan News : राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने किसी लीडर का बिना नाम लिए कहा, कि आजकल तो लोग उसी अंगुली को पहले काटने का प्रयास करते हैं, जिसको पकड़ कर वह चलना सीखते हैं".  

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Vasundhara Raje
Vasundhara Raje
Shiv Govind Mishra|Updated: Jun 23, 2024, 08:07 PM IST
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Vasundhara Raje, Rajasthan News : राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उदयपुर में एक विशिष्ट जन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आजकल लोग उसी की अंगुली काटने का प्रयास करते हैं, जिसने उन्हें चलना सिखाया. इस अवसर पर असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया भी मंच पर मौजूद थे. राजनीति में कटारिया को वसुंधरा राजे का कड़ा प्रतिद्वंदी माना जाता है. 

विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी नेतृत्व ने कटारिया को नेता प्रतिपक्ष के पद से हटाकर असम का राज्यपाल नियुक्त कर दिया था. राजनीतिक विश्लेषक वसुंधरा राजे के इस बयान को महत्वपूर्ण मानते हैं और इसके विभिन्न सियासी मायने निकाल रहे हैं. 

वसुंधरा राजे ने तोड़ी चुप्पी 

उनका कहना है कि लंबे समय के बाद वसुंधरा राजे ने अपनी चुप्पी तोड़ी है और पार्टी नेतृत्व को यह संदेश दिया है कि वह अब चुप नहीं रहेंगी. इसके अलावा, उन्होंने उन लोगों को भी निशाने पर लिया है जिन्हें उन्होंने खुद राजस्थान की राजनीति में आगे बढ़ाया.

सहारा देने वाली अंगुली को काट रहे लोग- वसुंधरा राजे

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा "भंडारी जी ने राजस्थान में भैरों सिंह जी समेत कई नेताओं को आगे बढ़ाया है. लेकिन वह समय अलग था, जब लोग एहसान मानते थे. आजकल तो लोग उसी अंगुली को पहले काटने का प्रयास करते हैं, जिसको पकड़ कर वह चलना सीखते हैं". वसुंधरा ने कहा कि उनकी मां ने हमेशा संघ के संस्कार दिए और उनकी माता ने जनसंघ की पहली सरकार बनाई थी.

मां ने दिए संघ के संस्कार- राजे

वसुंधरा राजे ने बताया कि उनकी माता विजयाराजे सिंधिया ने 1967 में मध्यप्रदेश में देश की पहली जनसंघ सरकार बनाई और गोविंद नारायण सिंह को मुख्यमंत्री बनाया. उस समय भंडारी जी ने पत्र लिखकर अपनी खुशी जताई थी. बचपन से ही उनकी मां ने संघ के संस्कार दिए. 

उनके घर में कई बार संघ की शाखाएं लगती थीं और अटल जी, आडवाणी जी, राजमाता साहब, भैरों सिंह जी, सुंदर सिंह भंडारी, रज्जू भैया, केएस सुदर्शन जी, दत्तोपंत ठेंगड़ी और कुशाभाऊ ठाकरे जैसे देशभक्तों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ.

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