Ranthambore Plastic Problem: सवाई माधोपुर स्थित प्रदेश के सबसे बड़े रणथंभौर टाईगर रिजर्व में प्लास्टिक और पॉलिथीन को लेकर वन विभाग द्वारा प्रतिबंध लगाया हुवा है . लेकिन इस प्रतिबंधित आदेश को सालों बीत जाने के बाद भी आदेश की पालना को लेकर वन विभाग द्वारा धरातल पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है . हालत यह की रणथंभौर भ्रमण पर जाने वाले पर्यटक आए दिन अपने साथ प्लास्टिक थैली व पॉलिथीन पैक्ड खाद्य सामग्री जंगल में ले जाते हैं और इन्हें जंगल में ही फेंक देते हैं . जिसके चलते प्लास्टिक और पॉलीथीन खाने से वन्यजीव कई मर्तबा बीमार हो जाते हैं .
एक बार फिर रणथंभौर से ऐसा ही एक वीडियो सामने आया है . जिसमें वन्य जीव प्लास्टिक एंव पॉलिथीन खाते नजर आ रहे हैं . यह वीडियो सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रहा है . गौरतलब है की साल 2018 में वन विभाग के तत्कालीन हेड ऑफ द फॉरेस्ट फोर्स (होप ) द्वारा इस संबंध में आदेश जारी किए गए थे .
प्लास्टिक एवं पॉलीथिन वस्तुओं को रोकने को लेकर जुर्माने का प्रावधान भी किया गया था . लेकिन यह आदेश महज कागज ही साबित हो रहा है . रणथंभौर टाइगर रिजर्व के जॉन नंबर चार के सिंह द्वारा वन क्षेत्र में बारासिंघा पॉलिथीन की थैलियां को खाता नजर आया . वही जॉन पांच में कचिदा माता वन क्षेत्र में सांभर के मुंह में प्लास्टिक की थैलियां नजर आ रही है . जिसका वीडियो भी वायरल हो रहा है .पर्यटकों ने इनका वीडियो बनाकर वायरल किया है .
ऐसे में एक बार फिर प्लास्टिक प्रतिबंधन को लेकर बने वन विभाग के नियमों की पालना को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं . वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वन विभाग के पूर्व होप की ओर से जारी आदेश में टाइगर रिजर्व क्षेत्र में प्लास्टिक की सामग्री और पॉलिथीन ले जाने पर पूरी तरह से प्रतिबंधन लगाया गया था . आदेशों के अनुसार यदि कोई पर्यटक वन में प्लास्टिक या फिर पॉलिथीन की सामग्री ले जाते हुए पाया जाता है तो गाइड, वाहन चालक और पर्यटक पर 5 से ₹10000 का जुर्माना लगाने का प्रावधान है.
दूसरी बार ऐसा करते पाए जाने पर संबंधित पर्यटक ,वाहन चालक और गाइड के जंगल में प्रवेश पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगाई जाने का प्रावधान है . वन विभाग द्वारा रणथंभौर नेशनल पार्क में भ्रमण के दौरान होने वाली अनियमितताओं को रोकने को लेकर एक जांच कमेटी का भी गठन किया गया है.
लेकिन यह कमेटी केवल पार्क भ्रमण के दौरान पर्यटकों के टिकट और आईडी की जांच कर अपने कार्य की इतिश्री कर रही है . वन्य जीव विशेषज्ञों और चिकित्सकों की माने तो कोई भी वन्यजीव यदि प्लास्टिक या पॉलीथीन खाता है तो यह उसके पेट में और आंतो में जाम सकती है . प्लास्टिक और पॉलिथीन कभी नष्ट नहीं होती . ऐसे में वन्यजीव की आंतों में सूजन की समस्या भी आ जाती है और पाचन क्रिया पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है.
कई बार तो उपचार तक करने की नौबत आ जाती है . रणथंबोर के वन अधिकारियों का कहना है कि प्लास्टिक व पॉलीथिन में खाना ले जाना रणथंबोर में प्रतिबंधित है. फिर भी कुछ बड़े होटल वाले पर्यटको को बॉक्स में चाय अथवा कुछ खाने पीने की चीज चोरी छुपे लेजाने को दे देते है. जानकारी में आता है तो उन पर जुर्माना लगाया जाता है अथवा कार्रवाई की जाती है . लेकिन हाल ही में रणथंभौर से सामने आए वन्यजीवों के प्लास्टिक एवं पॉलीथिन खाने के वीडियो ने एक बार फिर रणथंबोर के वन अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर दिया है.