Udaipur News : राजस्थान के उदयपुर के सज्जनगढ़ सेंचुरी में आग लगे 4 दिन हो चुके हैं. लेकिन आग पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है. मानसून पैलेस और बायोलॉजिकल पार्क में टूरिस्ट एंट्री बैन है. 14 से ज्यादा फायर ब्रिगेड आग बुझाने के काम में जुटी है. विभाग का कहना है कि सूखी घास और तेज हवा आग को लगातार भड़का रही है.
पहले लग रहा था कि आग को बुझा लिया गया है, लेकिन तेज हवा के चलते ये आग फिर से फैल रही है. सेंचुरी से सटे 10 से ज्यादा परिवारों के घर खाली करा कर उन्हे सुरक्षित जगह शिफ्ट किया गया है. सेंचुरी की दीवार तक पहुंचने के बाद बायोलॉजिकल पार्क को सुरक्षित किया गया है.
आग और तेज हवा के चलते आम लोगों को खास तौर पर एलर्जिक लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है. लेकिन फिर भी प्रशासन की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. आपको बता दें कि जब जगंल में आग लगती है तो धुएं में पीएम 2.5 और अल्ट्राफाइन कण होते हैं जो सीधे ब्लड स्ट्रीम में जा सकते हैं. इस धुएं के चलते छोटे बच्चे, जिनके फेफड़े अभी विकसित हो रहे हैं, गर्भवती महिलाएं और फेफड़ों और हार्ट की बीमारी से जूझ रहे लोगों को खासतौर पर परेशानी हो सकती है.
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उदयपुर में वायु प्रदूषण के बाद भी जिला प्रशासन की तरफ से कोई एहतियातन कदम नहीं उठाये गये हैं. कम से कम ऐसे हालात में जब पहले से ही हवा में जहर घुल रहा है, कंस्ट्रक्शन के कामों पर लगाम लगनी जरूरी है, जो होता नहीं दिख रहा है.
आपको बता दें कि पहाड़ियों में आग को काबू कर भी लिया गया तो भी इसका असर रहेगा. आग लगने से धुआं लगातार उठ रहा है और आस पास ही नहीं कई किलोमीटर दूर तक उदयपुर के लोग इसे देख और सांस लेते हुए महसूस भी कर रहे हैं.
तेज हवाओं से धुएं के साथ ही छोटे छोटे कण इलाके में फैल रहे हैं. जो सेहत के लिए बेहत खतरनाक साबित हो सकते है. एलर्जिक लोगों में इस प्रदूषण का रिलज्ट तुरंत दिख सकता है, और सबसे ज्यादा ऐसे ही लोग प्रभावित हो रहे हैं. लेकिन जो स्वस्थ्य हैं, उनके लिए भी ये हालात अच्छे नहीं है.
क्योंकि ऐसे वायु प्रदूषण का असर दीर्घकालिक होता है. दरअसल जंगल में लगी आग से निकलने वाले धुएं सिर्फ कार्बन मोनोऑक्साइड ही नहीं बल्कि कई सूक्ष्म कण जो पीएम 2.5 तक हो सकते हैं आते है. जो इंसान की बाल की चौड़ाई के औसतन 1/40 वें भाग के बराबर होते हैं.
ये खतरनाक कण फेफड़ों की सबसे छोटी दरारों में गहराई तक घुसने और सीधे रक्त प्रवाह में एंट्री लेने में माहिर होते हैं. जब भी ऐसा कुछ होता है तो शरीर प्रतिक्रिया देता है, ये प्रतिक्रिया बिल्कुल वायरस या बैक्टीरिया से खुद को बचाने के लिए दी जाने वाली प्रतिक्रिया के समान होती है. फेफड़ों में सूजन या सांस लेने में मुश्किल समेत कई परेशानी इसके चलते हो सकती हैं.