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Telangana Tunnel Collapse: अब सुरंग में घुसे 12 'चूहा एक्सपर्ट', जानें तेलंगाना की धंसी टनल में ये कैसा कमाल करेंगे

Rat Miners Team: तेलंगाना की टनल में तीन दिन से फंसे 8 लोगों की लोकेशन तो पता चल गई है लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया है. सेना-एनडीआरएफ के एक्सपर्ट दिन रात लगे हुए हैं लेकिन कोई सफलता न मिलती देख अब चूहों जैसा ऑपरेशन शुरू किया गया है. हां, दिल्ली से उन्हीं रैट माइनर्स को बुलाया गया है जिन्होंने उत्तराखंड टनल में 41 लोगों को बचाया था. 

Telangana Tunnel Collapse: अब सुरंग में घुसे 12 'चूहा एक्सपर्ट', जानें तेलंगाना की धंसी टनल में ये कैसा कमाल करेंगे
Anurag Mishra|Updated: Feb 25, 2025, 04:45 PM IST
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Rat Hole Miners: उत्तराखंड की सिलक्यारा टनल से 41 मजदूरों को बचाने वाले 'चूहा एक्सपर्ट' वाली टीम अब तेलंगाना पहुंच गई है. यहां शनिवार से 8 लोगों की जान खतरे में हैं. ऑक्सीजन उन तक पहुंच नहीं रही है. घड़ी की टिक-टिक के साथ उम्मीदें भी धुलती जा रही हैं. जम्मू-कश्मीर के सनी सिंह, पंजाब के गुरप्रीत सिंह, यूपी के मनोज कुमार और श्री निवास, झारखंड के संदीप साहू, जगता एक्स, संतोष साहू और अनुज साहू को बचाने के लिए देशभर से प्रार्थना की जा रही है. ये सभी श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग में 13 किमी अंदर फंसे हैं. आखिरी उम्मीद बनकर अब वही रैट माइनर्स पहुंचे हैं जिन्होंने उत्तरकाशी में करिश्मा किया था.

ये चूहा एक्सपर्ट कौन होते हैं

दरअसल, अंग्रेजी में इन लोगों को रैट माइनर्स कहा जाता है. Rat-hole माइनिंग or Rat माइनिंग खुदाई की एक प्रक्रिया है जिससे कोयला निकाला जाता है. इसमें सुरंग या होल संकरा होने पर ये रैट माइनर्स हाथों से खुदाई करते हैं. यह काम बिल्कुल चूहे की तरह होता है जैसे वे बिल बनाते हैं और मिट्टी आदि निकालते हैं उसी तरह ये लोग हाथों से धीरे-धीरे कम जगह में अपना काम करते हैं.

2023 में उत्तराखंड की ‘सिल्कयारा बेंड-बरकोट’ सुरंग में फंसे निर्माण श्रमिकों को भी इन्ही रैट माइनर्स ने बचाया था. हाथ से पर्वतीय क्षेत्रों की खुदाई करने में इन्हें महारत हासिल होती है. फिरोज कुरैशी 6 साथियों की टीम लेकर कुछ घंटे पहले दिल्ली से नागरकुरनूल पहुंचे हैं. 6 लोग और पहुंच गए हैं. उम्मीद की जा रही है कि ये रैट माइनर्स पानी और कीचड़ के मलबे को बाहर निकालने में सफल हो सकें.

12 रैट माइनर्स की टीम

मुन्ना कुरैशी, फिरोज कुरैशी, राशिद अंसारी, मोहम्मद राशिद, नसीम मलिक, खलील कुरैशी, मोनू कुमार, देवेन्द्र कुमार, सौरभ, इरशाद मलिक और दो अन्य.

सुरंग का एक निर्माणाधीन हिस्सा शनिवार को ढह गया था. पानी और कीचड़ होने से 8 लोगों से संपर्क नहीं हो पा रहा है. आगे कुछ समझ में नहीं आ रहा. ऐसे में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों की मदद ली गई है. नागरकुरनूल के जिलाधिकारी बी. संतोष ने कहा है कि आगे कोई भी कदम उठाने से पहले सुरंग की स्थिरता को ध्यान में रखा गया है. पानी निकालने का काम लगातार जारी है.

कहां है दिक्कत?

जिलाधिकारी ने बताया है कि अब तक हम फंसे हुए लोगों से संपर्क नहीं कर पाए हैं. आखिरी 40 या 50 मीटर तक हम नहीं पहुंच पाए हैं क्योंकि वहां कीचड़ और मलबा जमा हो गया है. एलएंडटी के विशेषज्ञ भी यहां आ चुके हैं. एलएंडटी से जुड़े एक आस्ट्रेलियाई एक्सपर्ट को भी दुर्घटना स्थल पर एसएलबीसी सुरंग की स्थिरता का आकलन करने के लिए बुलाया गया है.

सेना, नौसेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और दूसरी एजेंसियों के अथक प्रयासों के बावजूद बचाव अभियान में कोई सफलता नहीं मिली है. बचाव अभियान में जुटी टीम को सुरंग में फंसे लोगों को निकालने के लिए दुर्घटना स्थल तक पहुंचने के लिए मिट्टी के टीलों, लोहे के ढांचों और सीमेंट के ब्लॉक से गुजरना पड़ रहा है. धातु की छड़ को काटने के लिए लगातार गैस कटर का इस्तेमाल किया जा रहा है. तेलंगाना के मंत्री जुपल्ली कृष्ण राव ने एक दिन पहले कहा था कि सुरंग में फंसे लोगों के बचने की संभावना बहुत कम है और फंसे हुए लोगों को बचाने में कम से कम तीन से चार दिन लगेंगे.

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