Trikal Alcohol Row: सऊदी अरब आधुनिकता की अहमियत को समझ रहा है. वो अपने देश में शराब बेचने की इजाजत देने जा रहा है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि शराब के नाम पर मजहब से मजाक हो. जबकि भारत में कुछ लोगों और कुछ समूहों के दिमाग में सनातन विरोधी नशा चढ़ा हुआ है. उन्हें शराब बेचने के नाम पर भी सनातन का अपमान सूझ रहा है.
शराब बनाने वाली कंपनी रेडीको खेतान ने त्रिकाल नाम से प्रीमियम व्हिस्की ब्रांड लॉन्च किया है. फिलहाल इस शराब की मार्केटिंग यूपी, हरियाणा और महाराष्ट्र में की जा रही है. लेकिन दिक्कत नए ब्रांड को लेकर नहीं नाम को लेकर है.
त्रिकाल नाम की शराब पर विवाद
संत समाज इस नाम का विरोध इसलिए कर रहा है. क्योंकि त्रिकाल महादेव का नाम है. और महादेव के नाम पर शराब के ब्रांड का नाम हो ये ना संतों को पसंद है ना ही सनातनियों को.
हिंदू धर्म में त्रिकाल शब्द का अर्थ है तीन समय या तीनों काल. यह शब्द भूत, वर्तमान और भविष्य को संदर्भित करता है. बेहद पवित्र संदर्भ में इस शब्द का प्रयोग होता है. जैसे त्रिकाल संध्या, त्रिकाल दृष्टा, त्रिकाल अनुभव. ये शब्द भगवान शंकर से जुड़ा हुआ है.
पहले भी हो चुकी हैं शैतानियां
आस्था से जुड़े इस पवित्र शब्द का प्रयोग शराब बेचने में किया जा रहा है. व्यापारिक फायदे के लिए हिंदू आस्था को ठेस पहुंचाने वाली शैतानियां कई बार हो चुकी हैं. लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि जिस रेडीको खेतान नाम की कंपनी ने इस बार सनातनी भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम किया है.
वो एक भारतीय कंपनी है, जिसके मालिक ललित खेतान हैं. कंपनी भारतीय बाजार में अपना प्रोडक्ट बेचती है. रेडीको खेतान का टॉप मैनेजमेंट भी भारतीय है. भारतीय कंपनी होने के नाते रेडीको खेतान ग्रुप को भारत की सनातन पंरपरा के बारे में पता होना चाहिए. ललित खेतान स्वयं हिंदू हैं. इसलिए वो अच्छे से जानते होंगे कि त्रिकाल शब्द भारत की सनातन परंपरा में कितना पवित्र माना जाता है. फिर भी कंपनी ने शराब के ब्रांड का नाम त्रिकाल रखा. इस मुद्दे पर कुछ बड़े राजनीतिक दल भी अब सक्रिय हो चुके हैं.
सस्ते प्रचार से विवाद खड़े करती हैं कंपनियां
कई बार कंपनियां सस्ते प्रचार के लिए विवाद खड़ा करती हैं. यहां हम कहना चाहेंगे कि अगर रेडीको ने प्रचार के लिए सनातन की आस्था के साथ मजाक करने का ये अधम और भद्दा प्रयास किया है, तो उनलोगों को भी एक बार जरूर सोचना चाहिए जो उस कंपनी के प्रोडक्ट खरीद रहे हैं.
पहले भी हुई हिंदुओं की आस्था पर चोट की कोशिश
ये पहली बार नहीं है जब हिंदुओं की आस्था पर चोट पहुंचने की कोशिश हुई है.
मई 2011 में सिडनी में एक फैशन शो मे मॉडल्स की पोशाक पर मां लक्ष्मी की तस्वीरें छापी गई थीं.
दिसंबर 2011 में ऑस्ट्रेलिया में ही एक नाटक में दिखाया गया था कि भगवान गणेश से हिटलर की गुप्तचर सेवा पूछताछ कर रही है.
एमेजॉन ने 2014 में अमेरिका में महिलाओं की लेगिंग पर हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीर छापी थी.
अमेरिका में एक कंपनी ने भगवान की तस्वीर वाले जूते बाजार में उतारे थे.
ऑस्ट्रेलिया की एक शराब कंपनी ने 2014 और 2019 में बीयर की बोतल पर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की तस्वीर छापी थी.
2020 में ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी अमेजन के प्लेटफॉर्म पर हिन्दू देवी-देवताओं के चित्र वाले टॉयलेट सीट, जूते और दूसरे सामान बेचने पर विवाद हुआ था.
2024 में अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट की वेबसाइट पर हिंदू देवताओं की तस्वीरें लगाकर चप्पल और स्विम सूट बेचने पर विवाद हुआ था.
अहिंसा, प्रेम और सहिष्णुता हिंदुत्व की मूल भावना है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि कोई प्रोडक्ट के नाम पर या अभिव्यक्ति के नाम पर सनातन का अपमान करे. हिंदू आस्था को चोट पहुंचाए.
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