DNA Analysis: दिल्ली की बारिश पर 'नेताओं की रिपोर्टिंग' आपने देखी. इस रिपोर्टिंग को देखकर आपको पता चल गया होगा कि दिल्ली के जल-भराव में आज कैसे नेताओं के बीच राजनीतिक TRP की रेस लगी थी. खैर कुछ तो बरसात का कहर बरस रहा है, कुछ बेकार इंतज़ामात का असर दिख रहा है. क्या ख़ास, क्या आम. क्या दिल्ली, क्या गुरुग्राम. इंसान को जगह-जगह बेहद बुरे हाल में बसर करना पड़ रहा है. दिल्ली-गुरुग्राम के बाद, अब अजमेर की बात करते हैं. आज हम आपको बताते हैं कि यहां जनता की उम्मीद किस कदर टूटी है. इसे मशहूर शायर सुदर्शन फ़ाख़िर के लफ़्ज़ों में बताएं तो, वो कहते हैं-
"हम तो समझे थे कि बरसात में बरसेगी शराब
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया
कुछ तो दुनिया की इनायात ने दिल तोड़ दिया
और कुछ तल्ख़ी-ए-हालात ने दिल तोड़ दिया"
मतलब अजमेर की जनता ने सोचा तो यही था कि सालों से जिसका इंतजार था, वो पुल तैयार हो गया है. लेकिन उम्मीद तब टूटी जब बरसात शुरू होते ही 243 करोड़ रुपए की लागत से बने इस पुल पर पानी फिर गया. बड़े-बड़े गड्ढे होने की वजह से यह 'रामसेतु' पुल साल दो साल भी नहीं चल पाया और बंद हो गया. इससे कचहरी रोड, रेलवे स्टेशन और मार्टिडल ब्रिज पर ट्रैफिक बढ़ गया और जनता की उम्मीदों पर पूरी तरह से पानी फिर गया.
#DNAWithRahulSinha | खुलते ही बंद हुआ अजमेर का रामसेतु, 243 करोड़ की लागत पर फिर गया पानी#DNA #Ajmer #Rajasthan @RahulSinhaTV pic.twitter.com/J75z2pB9Ek
— Zee News (@ZeeNews) July 10, 2025
इस पुल को अजमेर की लाइफ लाइन कहा जा रहा था. लेकिन पुल की पोल खुलते ही अजमेर में रहने वाले दो लोगों ने 5 जुलाई को एक जनहित याचिका दायर कर दी. मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बुधवार को यह पुल तुरंत बंद करने का आदेश दे दिया. कोर्ट ने अब अजमेर नगर निगम के आयुक्त, अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के सीईओ और डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को 11 जुलाई यानी कल तक जवाब देने को कहा है.
कोर्ट में यह खुलासा हुआ कि इस प्रोजेक्ट में एक्सपर्ट्स की सलाह को दरकिनार किया गया. स्थानीय नागरिक फोरम के फैसलों पर भरोसा किया गया. इससे एक घटिया पुल तैयार हो गया और नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई. अजमेर नगर निगम ने दावा किया था कि उन्होंने पुल के चार रास्तों में से एक को बंद कर दिया है. लेकिन कोर्ट ने कहा कि पूरे पुल में एक ही तरह के मटीरियल का इस्तेमाल हुआ है इसलिए पूरा पुल ही कमजोर है. इसलिए पूरे पुल को ही बंद रखा जाए.
यह एलिवेटेड रोड महज दो साल पहले अरबो रुपयों की लागत से स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत बनाया गया था. निर्माण के दौरान इसे ‘आधुनिक अजमेर की पहचान’ के तौर पर प्रचारित किया गया था और हाल ही मे इसका नामकरण ‘रामसेतु’ किया गया था। लेकिन अब बारिश के महज एक दौर में ही इसकी क्वालिटी पर सवाल खड़े हो गए हैं। यह साफ है कि निर्माण कार्य में भारी लापरवाही या घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ है।
खास बात यह है कि यह सड़क ब्रह्मा मंदिर, दरगाह और प्रमुख बाजार क्षेत्रों को जोड़ने का अहम जरिया मानी जाती है. तकनीकी जानकारों का कहना है कि इस प्रकार की दरारें और गड्ढे केवल जल निकासी की खराब व्यवस्था की वजह से नहीं आती, बल्कि इसके पीछे निर्माण में तकनीकी चूक भी जिम्मेदार है. अब सवाल यह है कि करोड़ों रुपये खर्च कर बने इस ‘रामसेतु’ की भरपाई कौन करेगा? क्या इसकी जिम्मेदारी ठेकेदार पर तय की जाएगी? क्या निगम, स्मार्ट सिटी लिमिटेड या प्रशासन इस पर कोई कठोर कार्रवाई करेगा?कोर्ट ने इस पूरे मामले को गंभीर मानते हुए अगली सुनवाई के लिए कल की तारीख तय की है. अब देखना होगा कि प्रशासनिक अधिकारी अगली पेशी में अपनी स्थिति स्पष्ट करते हैं या नहीं.
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