जस्टिस यशंवत वर्मा के घर पर कैश मिलने के मामले में तीन जजों की कमेटी की जांच रिपोर्ट को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत देने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया है। अमृतपाल सिंह नाम के शख्श ने इस रिपोर्ट के साथ प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को चीफ जस्टिस की ओर से भेजे गए पत्र की जानकारी भी मांगी थी।
CPIO ने जानकारी देने से इंकार किया
सुप्रीम कोर्ट के सेंट्रल पब्लिक इन्फॉर्मेशन कमिश्नर ने अपने आदेश में कहा कि कोर्ट ने पुराने फैसले(सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया बनाम सुभाष चंद्र अग्रवाल) में इस बात को साफ किया है कि आरटीआई के तहत कौन सी जानकारी दी जा सकती है। इस फैसले में दी गई व्यवस्था के मुताबिक इस जानकारी को आरटीआई के तहत नहीं दिया जा सकता है.
CJI ने तीन जजों की कमेटी बनाई
22 मार्च को चीफ जस्टिस ने जस्टिस यशवंत वर्मा पर कैश मिलने के आरोप की जांच के लिए तीन सदस्य जजों की कमेटी का गठन किया था।इस कमेटी में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया ,पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू और कर्नाटक हाई कोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन शामिल है. इस विवाद के समय जस्टिस वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट में जज थे। उनका बाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया था।चीफ जस्टिस ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से भी कहा था कि वो जस्टिस यशवंत वर्मा को कोई न्यायिक काम न सौंपे.
कमेटी ने जस्टिस वर्मा में खिलाफ आरोप को सही माना!
तीन सदस्य जजों की कमेटी ने जांच पूरी कर चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को 4 मई को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। 8 मई को चीफ जस्टिस ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को जांच कमेटी की रिपोर्ट और जस्टिस वर्मा को भेजे गए जवाब की कॉपी भेजी थी. सूत्रों के मुताबिक कमेटी ने यशवंत वर्मा पर कैश रखने के आरोपों को सही माना था। सूत्रों के मुताबिक इसके बाद चीफ जस्टिस ने जस्टिस यशवंत वर्मा को त्यागपत्र देने को कहा था लेकिन जस्टिस वर्मा के त्यागपत्र देने से इंकार करने के बाद उन्होंने पीएम और राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेज दी थी.
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