Justice Yashwant Varma Cash controversy: जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट (SC) ने खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चीफ जस्टिस पहले ही तीन जजों की कमेटी और जस्टिस यशवंत वर्मा के जवाब को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेज चुके है.अभी मामला राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास पेंडिंग है. ऐसी सुरत में याचिकाकर्ता को सीधे कोर्ट आने के बजाए उनके सामने अर्जी लगानी चाहिए थी.
कोर्ट में दायर याचिका में मांग
वकील नेदुमपारा की ओर से दायर इस अर्जी में कहा गया था कि जस्टिस वर्मा के घर पर कैश मिलने की बात साबित हो चुकी है. इसके बावजूद तय क़ानूनी प्रकिया के तहत इस मामले में अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है. उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए.
कोर्ट ने इसलिए अर्जी खारिज की
आज मामला जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच के सामने सुनवाई पर आया. बेंच ने सुनवाई शुरु करते ही कहा कि चीफ जस्टिस पहले ही तीन जजों की कमेटी और जस्टिस यशवंत वर्मा के जवाब को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेज चुके है. इस रिपोर्ट में क्या कहा गया है, इसकी जानकारी न तो जजों को और ना ही याचिकाकर्ता को है. इस स्थिति में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से कोई आदेश पाने के लिए अर्जी दाखिल करने से पहले याचिकाकर्ता को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के समक्ष अर्जी लगानी चाहिए थी. वहां कोई कार्रवाई न होने के बाद वो कोर्ट का रुख कर सकते थे.
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने तय प्रकिया पालन नहीं किया, इसलिए हम अर्जी खारिज कर रहे है.
पुराने फैसले पर सुनवाई से इंकार
नेदुमपारा ने तब वीरास्वामी जजमेंट पर सवाल उठाया. वकील ने दलील दी कि जजों पर आरोप लगने की सूरत में इस जजमेंट में जो इन हाउस जांच की जो व्यवस्था दी गई है, उस पर फिर से विचार की ज़रूरत है. हालांकि कोर्ट ने इस पर सुनवाई से इंकार कर दिया.
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