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बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए SC बनाएगा कमेटी, यूपी सरकार के अध्यादेश पर रहेगी रोक

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यूपी सरकार के अध्यादेश की वैधता पर इलाहाबाद इलाहाबाद हाई कोर्ट सुनवाई करेगा. वो  सुप्रीम कोर्ट में इस अध्यादेश को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं को इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने को कहेगा.

बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए SC बनाएगा कमेटी, यूपी सरकार के अध्यादेश पर रहेगी रोक
Arvind Singh|Updated: Aug 08, 2025, 02:33 PM IST
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो वृंदावन में  बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए यूपी सरकार की ओर से जारी अध्यादेश पर रोक का आदेश पास करेगा. इस अध्यादेश के ज़रिए मंदिर के प्रबंधन के लिए कमेटी बनाए जाने का प्रावधान था. मंदिर के सेवायत इस एक्ट को मंदिर के कामकाज में सरकारी दखल बताते हुए इसका विरोध कर रहे है.

HC के रिटायर्ड जज करेंगे कमेटी की अध्यक्षता
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा है कि वो अपनी ओर से एक दूसरी कमेटी का गठन करेगा ताकि इस दरम्यान मंदिर के प्रबंधन का काम सुचारू रूप से चल सके. इस कमेटी की अध्यक्षता हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज करेगे.  कोर्ट ने संकेत दिए है कि इस कमेटी में केन्द्र सरकार के अधिकारियों के अलावा मंदिर में पूजा- प्रबंधन संभाल रहे सेवायतों को भी शामिल किया जाएगा.
   
अध्यादेश की वैधता पर HC  करेगा सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यूपी सरकार के अध्यादेश की वैधता पर इलाहाबाद इलाहाबाद हाई कोर्ट सुनवाई करेगा. वो  सुप्रीम कोर्ट में इस अध्यादेश को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं को इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने को कहेगा. जब तक हाई कोर्ट अध्यादेश की वैधता पर कोई फैसला नहीं ले लेता तब  तक सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त कमेटी ही मंदिर का प्रबंधन देखेगी. 

SC का लिखित आदेश वेबसाइट पर आएगा
मंदिर के प्रबंधन के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी की अध्यक्षता कौन करेगे,कमेटी  में कौन शामिल होंगे, इसको लेकर स्पष्टता सुप्रीम कोर्ट के लिखित आदेश से आएगी. सुप्रीम कोर्ट का आदेश वेबसाइट पर कल तक अपलोड़ होने की उम्मीद है .

मंदिर के फंड इस्तेमाल की इजाज़त पर भी सवाल
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए है कि वो मई में दिए उस आदेश को वापस ले लेगा जिसके तहत कोर्ट ने यूपी सरकार को कॉरिडोर के निर्माण के लिए फंड के इस्तेमाल की इजाज़त दी थी.  पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि यूपी सरकार ने 'गुप्त तरीके' से सुप्रीम कोर्ट  में अर्जी दाखिल कर फंड के इस्तेमाल की इजाजत हासिल कर ली. 

याचिका की जानकारी दूसरे पक्ष को नहीं दी गई और कोर्ट की ओर से भी सेवायतों का पक्ष सुने  आदेश पास कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया था कि अगर राज्य सरकार मंदिर के पास विकास करना चाहती थी तो मंदिर के पास रह रहे लोगों को मुआवजा देकर उनसे ज़मीन क्यों नहीं ली. कोर्ट ने स्वर्ण मंदिर का उदाहरण देते हुए कहा था कि जो वहाँ हुआ है, इस केस में क्यों नहीं हुआ.

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