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माधबी बुच के खिलाफ कोर्ट के आदेश को चुनौती देंगे SEBI और BSE, क्या है पूरा मामला?

SEBI: माधबी बुच समेत कुछ अन्य अफसरों के खिलाफ FIR दर्ज करने के कोर्ट के आदेश को सेबी चुनौती देने की तैयारी में है. सेबी ने कहा कि जिन अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया गया है, वे 1994 में अपने पदों पर नहीं थे.

माधबी बुच के खिलाफ कोर्ट के आदेश को चुनौती देंगे SEBI और BSE, क्या है पूरा मामला?
Tahir Kamran|Updated: Mar 03, 2025, 07:18 AM IST
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SEBI एक स्पेशल अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को पूर्व सेबी अध्यक्ष माधवी पुरी बुच, बाजार नियामक के पूर्णकालिक सदस्यों और बीएसई के दो अधिकारियों के खिलाफ कथित शेयर बाजार धोखाधड़ी, नियामक उल्लंघन और 1994 में एक कंपनी की लिस्टिंग से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों में FIR दर्ज करने का निर्देश दिया है. यह आदेश 1994 में बीएसई (BSE) पर एक कंपनी की लिस्टिंग में कथित गड़बड़ियों की जांच से जुड़ा है. सेबी ने कहा कि वह सभी मामलों में नियामकीय अनुपालन यकीनी बनाने के लिए जिम्मेदार है.

'अदालत ने पक्ष रखने का कोई मौका नहीं दिया'

शनिवार को कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि वह सेबी की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच, तीन अन्य सेबी अफसरों, बीएसई के पूर्व चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल और बीएसई के वर्तमान एमडी के अलावा सीईओ सुंदररमन राममूर्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करे. सेबी ने कहा कि जिन अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया गया है, वे 1994 में अपने पदों पर नहीं थे. इसके बावजूद अदालत ने सेबी को अपना पक्ष रखने का कोई मौका दिए बिना ही यह आदेश जारी कर दिया.

SEBI ने आदेश को बताया निराधार

इस मामले पर बीएसई ने भी एक बयान जारी किया. बीएसई ने कहा कि अदालत के दस्तावेजों में जिस कंपनी का नाम आया है, वह 'Cals Refineries' है, जो 1994 में बीएसई में रजिस्टर्ड हुई थी. बीएसई ने साफ किया कि जिन अधिकारियों का नाम इस मामले में लिया गया है, वे उस समय अपने पदों पर नहीं थे और न ही उनका कंपनी से कोई संबंध था. बीएसई ने अदालत के आदेश को 'निराधार और परेशान करने वाला' करार दिया.   इसके अलावा, बीएसई ने कहा कि अदालत ने उसे भी अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया और बिना किसी पहले जानकारी के आदेश जारी कर दिया. बीएसई ने बताया कि वह इस आदेश के खिलाफ आवश्यक कानूनी कदम उठाने की प्रक्रिया शुरू कर चुका है.

पत्रकार ने दाखिल की याचिका

बता दें कि बुच का तीन साल का कार्यकाल 1 मार्च को खत्म हो गया. उनके कार्यकाल का आखिरी साल काफी विवादों से घिरा रहा. हाल ही में उनके खिलाफ जारी किया गया कोर्ट आदेश ठाणे के एक पत्रकार के ज़रिए दाखिल याचिका पर आया है. पत्रकार ने याचिका में आरोप लगाया है कि सेबी अफसरों ने अपनी कानूनी जिम्मेदारियों का ठीक से पालन नहीं किया है. बाजार में हेरफेर के साथ-साथ ऐसी कंपनी को लिस्टिंग की इजाजत दी है जो नियमों को पूरा भी नहीं कर रही थी.

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