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'भारत मर जाए तो कौन बचेगा...' इस बार नेहरू की लाइन बोलकर शशि थरूर ने किसको सुना दिया?

थरूर ने यह भी स्वीकार किया कि  कुछ लोग मेरे रुख को पार्टी के प्रति असहयोग समझते हैं. लेकिन मैं अपने देश के हित में डटा रहूंगा. उन्होंने कहा कि देश पहले आता है पार्टियां बाद में.

'भारत मर जाए तो कौन बचेगा...' इस बार नेहरू की लाइन बोलकर शशि थरूर ने किसको सुना दिया?
Gaurav Pandey|Updated: Jul 20, 2025, 12:11 PM IST
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अपने बेबाक अंदाज के लिए मशहूर लोकसभा में कांग्रेस सांसद शशि थरूर एक बार फिर चर्चा में हैं. कोच्चि में एक कार्यक्रम के दौरान जब उनसे उनकी क्रॉस-पार्टी पॉलिसी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने मजेदार जवाब दिया. हुआ यह कि खुद की पार्टी से मिली आलोचना के बारे में उनसे पूछा गया तो उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की लाइन दोहराई Who lives if India dies. मतलब हुआ कि 'भारत मर जाए तो कौन बचेगा' थरूर ने कहा कि जब देश खतरे में हो तो राजनीतिक मतभेद भुलाकर एकजुट होना चाहिए.

अपनी ही पार्टी से आलोचना क्यों झेलनी पड़ी?
असल में शशि थरूर ने यह टिप्पणी एक स्टूडेंट के सवाल के जवाब में की है. उसने पूछा गया था कि उन्हें अपनी ही पार्टी से आलोचना क्यों झेलनी पड़ी जब उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश के हित में सभी दलों को साथ लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि देश पहले आता है पार्टियां बाद में. उनका मानना है कि राजनीतिक दल देश को बेहतर बनाने का माध्यम हैं.

पार्टी के अंदर उन्हें निशाना बनाया
शशि थरूर ने यह भी कहा कि उन्होंने अमेरिका जैसे देशों में भारत की सरकार और सेना की एकजुट छवि पेश की ताकि पाकिस्तान के आतंकवाद को लेकर दुनिया को भारत की स्थिति साफ हो. हालांकि इसी को लेकर पार्टी के अंदर कुछ नेताओं ने उन्हें निशाना बनाया. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी पिछले दिनों थरूर पर कटाक्ष किया था जब उन्होंने कहा था कि कांग्रेस देश को पहले रखती है.

मैं अपने देश के हित में डटा..
इस कार्यक्रम में थरूर ने यह भी स्वीकार किया कि राजनीति प्रतिस्पर्धा का क्षेत्र है और विचारधारा भिन्न हो सकती है. जैसे पूंजीवाद बनाम समाजवाद, या मुक्त बाजार बनाम रेगुलेशन. लेकिन अंततः सभी का लक्ष्य एक बेहतर और सुरक्षित भारत होना चाहिए. उन्होंने कहा कि कुछ लोग मेरे रुख को पार्टी के प्रति असहयोग समझते हैं. लेकिन मैं अपने देश के हित में डटा रहूंगा.

कार्यक्रम के बाद जब उनसे कांग्रेस हाईकमान से मतभेदों पर सवाल किया गया तो उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि वे बस भाषण देने आए थे. एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें भेजे गए एक सर्वे में वे केरल में UDF की ओर से सबसे पसंदीदा मुख्यमंत्री चेहरा बताए गए थे. इस पर उन्होंने सिर्फ सलामी दी और कहा कि उन्होंने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की थी और अब भी नहीं करेंगे.

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