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Shiv Sena Disqualification Case: शिंदे गुट के पक्ष में स्पीकर के फैसले से क्यों खुश हैं अजित पवार?

Maharashtra Politics: एनसीपी में अब वही हालात हैं जो जून 2022 में शिवसेना में शिंदे गुटे की बगावत के बाद पैदा हुई थी. एनसीपी भी दो धड़ों में विभाजित है मामला विधानसभा स्पीकर के पास है. 

Shiv Sena Disqualification Case: शिंदे गुट के पक्ष में स्पीकर के फैसले से क्यों खुश हैं अजित पवार?
Zee News Desk|Updated: Jan 11, 2024, 11:49 AM IST
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NCP News: महाराष्ट्र की राजनीति में जिस फैसले का इतंजार किया जा रहा था वह बुधवार को आ गया. महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बुधवार को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े को ही ‘असली राजनीतिक दल’ (असली शिवसेना) बताया. राहुल नार्वेकर ने शिंदे समेत 16 शिवसेना विधायकों को अयोग्य ठहराने की उद्धव ठाकरे गुट की याचिका भी खारिज कर दी. हालांकि इस फैसले जितनी खुशी एकनाथ शिंदे को हुई है शायद उतने ही खुश डिप्टी सीएम अजित पवार भी होंगे.

दरअसल एनसीपी में अब वही हालात हैं जो जून 2022 में शिवसेना में शिंदे गुट की बगावत के बाद पैदा हुई थी. शिवसेना दो धड़ों में बंट गई थी ठीक इसी तरह अजित पवार और उनके समर्थक विधायकों के महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होने के बाद एनसीपी जुलाई 2023 में विभाजित हो गई.

विधानसभा तक पहुंचा एनसीपी का मामला
एनसीपी संस्थापक शरद पवार ने पवार और अन्य विधायकों के फैसले को पार्टी के संविधान के खिलाफ बताया. यह मामला सुप्रीम कोर्ट और विधानसभा अध्यक्ष तक पहुंचा. शरद पवार गुट ने अजित पवार गुट के विधायकों की अयोग्यता के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष को याचिकाएं दी जिस पर फैसला इसी महीने आ सकता है. दोनों समूहों ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न के लिए निर्वाचन आयोग में याचिका दायर की है.

31 जनवरी तक स्पीकर को देना है फैसला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एनसीपी मामले की कार्यवाही 6 जनवरी से शुरू हो चुकी है. उम्मीद जताई जा रही है की 18 जनवरी या उससे पहले दोनों पक्षों द्वारा मामले से जुड़े गवाहों और एफिडेफिट पेश किए जाएंगे. जिसके बाद 20 जनवरी तक दोनों पक्षों के गवाहों और एफिडेविट को क्रॉस एग्जामिन किया जाएगा. 25 जनवरी से 27 जनवरी के बीच मामले को लेकर दोनों पक्षों की दलीलें सुनी जाएंगी.  सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार 31 जनवरी तक स्पीकर को अपना फैसला देना होगा.

मीडिया रिपोट्स के मुताबिक ऐसी चर्चाएं हैं कि कि अगर बुधवार को आए फैसले का ही  तर्क एनसीपी मामले में भी लागू किया गया, तो फैसला विद्रोही खेमे के नेता अजीत पवार के पक्ष में आ सकता है.

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