Shivpal Singh Yadav on Karsevak Firing: अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों के बीजेपी पर हमले बढ़ते जा रहे हैं. अब समाजवादी पार्टी भी इस दौड़ में कूद गई है. उसने मुलायम यादव के मुख्यमंत्री काल में कारसेवकों पर गोली चलवाने की घटना को जायज ठहराया है. सपा के महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने दावा किया कि मुलायम सरकार ने यह कार्रवाई कोर्ट के आदेश पर की थी. उन्होंने कहा कि वे 22 जनवरी के बाद अयोध्या में दर्शन करने जाएंगे.
'सही था कारसेवकों पर गोली चलाने का फैसला'
शिवपाल सिंह यादव इटावा जिले के जसवंतनगर में पार्टी कार्यालय पर पहुंचे थे, जहां पर उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात के बाद मीडिया से बात की. इस दौरान उन्होंने बीजेपी पर जमकर शब्दों के तीर छोड़े. शिवपाल ने कहा कि मुलायम सरकार में अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाने का फैसला एकदम सही था. यह कार्रवाई संविधान की रक्षा के लिए की गई थी. ऐसा करके सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन किया था.
'कोर्ट के आदेश पर की गई थी कार्रवाई'
उन्होंने कहा, कोर्ट ने अयोध्या में स्टे ऑर्डर देकर यथाशक्ति बनाए रखने का आदेश दिया था. जो विवादित ढांचा था, बाबरी मस्जिद थी इन लोगों ने तोड़ी थी. वहां के प्रशासन की जिम्मेदारी थी कि कोर्ट के आदेश का पालन करवाया जाए. ऐसे में जिसने भी अदालत के आदेश का उल्लंघन किया, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी ही थी. उन्होंने दावा किया कि भाजपा के तो लोग इस घटना के बारे में झूठ बोलकर लोगों को भड़काते हैं. हमने केवल कोर्ट के आदेश का पालन किया था.
'22 जनवरी के बाद करूंगा मंदिर के दर्शन'
शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करना शंकरचार्य और संत का काम था लेकिन भाजपा अपना राजनैतिक काम सिर्फ चुनाव की वजह से कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि ईडी और सीबीआई का लगातार दुरुपयोग हो रहा है. शिवपाल ने दावा किया कि भगवान राम-कृष्ण में उनकी आस्था है और वे भाजपा के राजनीतिक कार्यक्रम के बाद अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करेंगे.
कब चली थी कारसेवकों पर गोली?
बताते चलें कि अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलाने की यह घटना 30 अक्टूबर 1990 को हुई थी. उस दौरान यूपी में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी. बीजेपी के आह्वान पर देशभर से लाखों कारसेवक अयोध्या पहुंचे हुए थे. हालात कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने अयोध्या में कर्फ्यू लाग कर दिया था, इसके बावजूद लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही थी. रामजन्मभूमि परिसर के पास कारसेवकों की भीड़ बेकाबू हुई तो सरकार के आदेश पर पुलिस फायरिंग शुरू कर दी थी. इस घटना में 5 कारसेवक मारे गए थे और कई घायल हो गए थे. इस घटना के बाद से देशभर में सपा के खिलाफ गुस्सा भड़क उठा था.
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