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चमत्कार! महमूद गजनी ने जिस शिवलिंग को तोड़ा था, 1000 साल बाद प्रकट हुए सोमनाथ !

Sri Sri Ravi Shankar on Somnath: महमूद गजनी इतिहास में दर्ज वो आक्रमणकारी है जिसने हिंदुओं की आस्था को गंभीर चोट पहुंचाई. सोमनाथ मंदिर को लूटा और शिवलिंग को भी नष्ट करने की कोशिश की थी लेकिन प्रभु की इच्छा देखिए 1000 साल बाद वह शिवलिंग फिर से प्रकट हुआ है. कैसे? पूरी बात श्री श्री रविशंकर ने बताई है. 

चमत्कार! महमूद गजनी ने जिस शिवलिंग को तोड़ा था, 1000 साल बाद प्रकट हुए सोमनाथ !
Anurag Mishra|Updated: Mar 03, 2025, 09:46 AM IST
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भगवान भोलेनाथ की पूजा करनी हो या शिवलिंग के दर्शन, गुजरात के सोमनाथ मंदिर की चर्चा जरूर होती है. देश के 12 ज्योतिर्लिंग में पहला सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है, जो गुजरात के सौराष्ट्र में समुद्र किनारे स्थित है. माना जाता है कि सोमनाथ मंदिर के क्षेत्र में चंद्रदेव ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तप किया था, जिससे प्रसन्न होकर भगवान प्रकट हुए थे. चंद्रदेव का एक नाम सोम है. इस मंदिर का नाम उन्हीं के नाम पर सोमनाथ पड़ा है. हालांकि 1000 साल पहले 1026 में मुस्लिम आक्रमणकारी महमूद गजनी ने सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण कर जमकर लूटपाट किया था. उस आतताई ने शिवलिंग को भी तोड़ दिया था. सोमनाथ शिवलिंग सैकड़ों साल बाद फिर से प्रकट हुए हैं. हां, आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने शिवलिंग की चमत्कारिक रूप से वापसी का दावा किया.

श्री श्री रविशंकर ने कहा कि भगवान जो चाहें, वो होता है. यह प्रत्याशित नहीं था. अपने आप यह चीज संपन्न हुई. 100 साल पहले कांची के परमाचार्य चंद्रशेखरन सरस्वती जी ने बताया था कि 100 साल मत लेकर आओ. वो पूरा होते ही शिवजी प्रकट हुए.

उन्होंने बताया कि इसमें (शिवलिंग) वे गुण (सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के) हैं, जिससे हमें पता चला कि यह क्या है. उन्होंने घोषणा की है कि 1026 ईस्वी में मुगल शासक मुहम्मद गजनी द्वारा टुकड़ों में तोड़ा गया पवित्र हिस्सा बरामद कर लिया गया है और इसके अभिषेक से पहले 40 दिनों का शुद्धिकरण अनुष्ठान होगा.

100 साल क्यों छिपाया?

आध्यात्मिक गुरु ने 26 फरवरी (महाशिवरात्रि) को एक लेख में दावा किया था कि कांची पीठम के शंकराचार्य के आदेश पर कई वर्षों तक छिपाए जाने के बाद उन्हें हाल ही में शिवलिंग के टुकड़े दिए गए थे. उन्होंने बताया कि 100 साल पहले, जब इस परिवार ने कांची पीठ के शंकराचार्य से संपर्क किया था तो उन्होंने निर्देश दिया था कि इसे छिपाकर रखें और 100 साल बाद, इसे बेंगलुरु में शंकर नाम के संत के पास ले जाएं.  इन निर्देशों का पालन करते हुए मूल सोमनाथ शिवलिंग अब मेरे पास लाए गए.

उन्होंने कहा कि शिवलिंग की 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा शुरू होगी, जिससे भक्तों को आशीर्वाद लेने का मौका मिलेगा. अंतिम अभिषेक से पहले शैव आगम परंपराओं के अनुसार एक शुद्धिकरण अनुष्ठान किया जाएगा. अब, मूल सोमनाथ ज्योतिर्लिंग एक हजार वर्षों के बाद मूल स्थान लौट सकता है. यह हमारे राष्ट्र के लिए आध्यात्मिक जागृति का क्षण है.

देश में 12 ज्योतिर्लिंग

भक्तों के कल्याण के लिए, उनके गुहार और मनुहार पर भगवान ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए. भारत के उत्तर से लेकर दक्षिण छोर तक बाबा उपस्थित हैं. ये 12 ज्योतिर्लिंग देश के अलग-अलग शहरों में हैं, जिनमें गुजरात का सोमनाथ और नागेश्वर मंदिर, आंध्र प्रदेश का मल्लिकार्जुन मंदिर, मध्य प्रदेश का महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर मंदिर, उत्तराखंड का केदारनाथ मंदिर, महाराष्ट्र का भीमाशंकर और त्रयम्बकेश्वर मंदिर, उत्तर प्रदेश का काशी विश्वनाथ मंदिर, झारखंड का वैद्यनाथ मंदिर, तमिलनाडु का रामेश्वरम और महाराष्ट्र का घुश्मेश्वर मंदिर शामिल हैं. मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है.

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