Chief Justice BR Gavai: सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस बी आर गवई के हालिया महाराष्ट्र दौरे के दौरान प्रोटोकॉल का पालन न करने पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका खारिज की. कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 7 हज़ार का जुर्माना लगाया. कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह याचिका पब्लिसिटी हासिल करने के लिए दाखिल की गई थी.
पब्लिसिटी दाखिल करने के लिए दायर याचिका
वकील शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी की ओर से दायर याचिका ख़ुद चीफ जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने आई. चीफ जस्टिस ने नाराजगी जाहिर करते नए कहा कि इस मामले में अधिकारी पहले ही खेद व्यक्त कर चुके है. हम खुद बयान जारी कर इस छोटे से मामले को तूल न देने का आग्रह कर चुके है तो फिर इस याचिका को दाखिल करने का क्या औचित्य है. कोर्ट ने कहा कि हम याचिकाकर्ता की मंशा को समझते हैं. यह याचिका पब्लिसिटी हासिल करने और अखबार में अपना नाम लिखवाने के मकसद दायर की गई है.
प्रोटोकॉल को लेकर क्या विवाद है
दरअसल 18 मई चीफ जस्टिस बी आर गवई बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा की ओर से आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए महाराष्ट्र गए थे. मूल रूप से महाराष्ट्र के ही रहने वाले चीफ जस्टिस का पद ग्रहण करने के बाद अपने गृह राज्य का पहला दौरा था. चीफ जस्टिस के तय प्रोटोकॉल के तहत महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, डीजीपी और मुंबई पुलिस कमिश्नर को उनकी आगवानी करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. चीफ जस्टिस ने इस पर अप्रसन्नता जाहिर की थी.
आज CJI ने क्या कहा
आज चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्होंने जब इस पर नाखुशी जाहिर की थी तो उनकी चिंता किसी व्यक्ति विशेष को सम्मान न लेकर, चीफ जस्टिस के पद की गरिमा को लेकर थी, लेकिन इस बयान के बाद अधिकारियों ने खेद व्यक्त किया. जब वो बाबा साहब अंबेडकर से जुड़ी चैत्यभूमि में श्रद्धांजलि अर्पित करने गए तो अधिकारी वहाँ पहुंचे थे. अधिकारी उन्हें वापस एयरपोर्ट तक छोड़ने आए थे. इसके बावजूद जब मीडिया में यह ख़बर सुर्खी बनने लगी तो चीफ जस्टिस ने प्रेस रिलीज जारी करने का आदेश दिया. इस रिलीज में इन विवाद पर विराम लगाने और छोटे से मुद्दे को तूल न देने का आग्रह किया गया था. इसके बावजूद सिर्फ पब्लिसिटी हासिल करने कर लिए यह याचिका दाखिल की गई है.
7 साल प्रैक्टिस, 7 हज़ार जुर्माना
चीफ जस्टिस ने पूछा कि इस मामले में याचिकाकर्ता वकील ने कितने साल तक वक़ालत की प्रैक्टिस की है. वकील ने जवाब दिया - 7 साल. चीफ जस्टिस ने कहा- इसलिए हम याचिकाकर्ता पर 7 हज़ार का जुर्माना लगाया रहे हैं. यह जुर्माना लीगल सर्विस ऑथोरिटी में जमा की जाए. बेहतर होगा कि चीफ जस्टिस ऑफिस को आगे इस तरह के बेवजह विवाद में मत खींचिए.
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