Supreme Court dismisses plea on SIMI: स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानि सिमी पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया. सिमी के पूर्व सदस्य हुमाम अहमद सिद्दीकी ने सिमी पर लगे प्रतिबंध को 5 साल के लिए बढ़ाये जाने के सरकार के आदेश को सही ठहराने वाले यूएपीए ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के औचित्य पर सवाल खड़े करते हुए सुनवाई से इंकार कर दिया.
2001 में सबसे पहला लगा बैन
सिमी को अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सबसे पहले 2001 में गैरकानूनी घोषित किया गया था. उसके बाद से सरकार इस बैन को नियमित अंतराल पर बढ़ाती रही है. पिछले साल 29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सिमी की आतंकी गतिविधियों में भागीदारी के मद्देनजर प्रतिबंध को पांच साल बढ़ाने का फैसला लिया था..बाद में UAPA ट्रिब्यूनल ने भी इस आदेश को बरकरार रखा था.
आज कोर्ट में क्या हुआ
आज यह मामला जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच के सामने लगा.सिद्दीकी की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि सितंबर 2001 से सिमी पर बैन लगा हुआ है.इससे जुड़े 10 और मामले कोर्ट में पहले से पेंडिंग है, जिनमे कई अहम क़ानूनी सवाल शामिल है. वकील ने कोर्ट से आग्रह किया कि कोर्ट इस अर्जी पर नोटिस जारी कर दे
कोर्ट ने सुनवाई से किया इंकार
बेंच ने सुनवाई से इंकार करते हुए इस मामले में याचिकाकर्ता के अर्जी दाखिल करने के औचित्य पर सवाल खड़ा किया. कोर्ट ने कहा कि आपकी ओर से याचिका दाखिल करने का क्या औचित्य है. आगे इस मामले में बैन के खिलाफ सिमी की अर्जी आती है, तो हम उस पर सुनवाई करेगे.
सरकार ने सिमी पर बैन क्यों लगाया
वैसे केंद्र सरकार इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में साफ कर चुकी है कि उसकी ओर से सिमी पर बैन क्यों लगाया गया है. इस मसले पर पेंडिंग सिमी की याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कहा था कि आतंकवादी संगठन सिमी का मकसद राष्ट्रवाद को खत्म कर देश में इस्लामिक शासन स्थापित करना है. सिमी इस्लाम के प्रचार / जिहाद के समर्थन के युवाओं को भड़काता रहा है. देश के संविधान और राष्ट्र की अवधारणा में उसका यकीन नहीं है.
सिमी के खतरनाक इरादे
सिमी मूर्तिपूजा के खिलाफ है और ऐसी धार्मिक परम्पराओं को खत्म करना अपनी ज़िम्मेदारी समझता है. ऐसे संगठन को देश में इजाज़त नहीं दी जा सकती. हलफनामे में तब कहा गया था कि सिमी का पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, सऊदी अरब, नेपाल में नेटवर्क हैं. हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर ए तोएबा जैसे संगठन सिमी के जरिये राष्ट्रविरोधी मंसूबों को अंजाम देते रहे है.
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